Tuesday, April 9, 2024

इस संसार में सबसे दुर्लभ कौन सा शरीर है

 गरुङ जी के सात प्रश्न और कागभुशुंड जी उत्तर। 

प्रथमहिं कहहु नाथ मतिधीरा। सब ते दुर्लभ कवन सरीरा॥

बड़ दुख कवन कवन सुख भारी। सोउ संछेपहिं कहहु बिचारी॥2॥ 

भावार्थ:-हे नाथ! हे धीर बुद्धि! पहले तो यह बताइए कि सबसे दुर्लभ कौन सा शरीर है


फिर सबसे बड़ा दुःख कौन है और सबसे बड़ा सुख कौन है, यह भी विचार कर संक्षेप में ही कहिए॥2॥

नर तन सम नहिं कवनिउ देही। जीव चराचर जाचत तेही॥

नरक स्वर्ग अपबर्ग निसेनी। ग्यान बिराग भगति सुभ देनी॥5॥

भावार्थ:-मनुष्य शरीर के समान कोई शरीर नहीं है। चर-अचर सभी जीव उसकी याचना करते हैं। वह मनुष्य शरीर नरक, स्वर्ग और मोक्ष की सीढ़ी है तथा कल्याणकारी ज्ञान, वैराग्य और भक्ति को देने वाला है॥5॥

* सो तनु धरि हरि भजहिं न जे नर। होहिं बिषय रत मंद मंद तर॥

काँच किरिच बदलें ते लेहीं। कर ते डारि परस मनि देहीं॥6॥ 

भावार्थ:-ऐसे मनुष्य शरीर को धारण (प्राप्त) करके भी जो लोग श्री हरि का भजन नहीं करते और नीच से भी नीच विषयों में अनुरक्त रहते हैं, वे पारसमणि को हाथ से फेंक देते हैं और बदले में काँच के टुकड़े ले लेते हैं॥6॥

No comments:

Common Yoga protocol books 2025

 International Yoga Day Newsletter hindi https://yoga.ayush.gov.in/IDY/idy-2025-newsletter/idy-newsletter-issue-1-hindi CYP https://yoga.ayu...