Wednesday, April 10, 2024

Yoga and lifestyle changes for Parkinson's Disease patient . योग और प्राणायाम से पार्किंसन रोग को ठीक कर सकते है



World Parkinson Day 2024



11 अप्रैल वर्ल्ड पार्किंसन डे यानि को विश्व पार्किंसन दिवस मनाया जाता है पार्किंसन रोग नर्वस सिस्टम में धीरे धीरे बढ़ने वाला एक डिसऑर्डर यानि विकार है जिससे सम्पूर्ण शरीर की कार्य प्रणाली प्रभावित होती है इसके लक्षण निम्न प्रकार है शरीर में कम्पन, धीमी गतविधि, सख्त मांसपेशिया, शरीर की असाधारण मुद्रा और संतुलन, स्वाभाविक गतविधियों में विराम, बोली में बदलाव, लिखने पढ़ने में दिक्कत आदि

पार्किंसंस रोग एक गतिविधि और मनोदशा संबंधी विकार है। यह एक ऐसी स्थिति है जो समय के साथ बढ़ती है और तब होती है जब मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिकाएं डोपामाइन नामक रसायन को पर्याप्त मात्रा में नहीं बना पाती हैं डोपामाइन एक रसायन है जो स्वाभाविक रूप से आपके मस्तिष्क में बनता है, और आपकी मांसपेशियों और गति के सुचारू नियंत्रण के लिए महत्वपूर्ण है।

पार्किंसंस रोग के लक्षण क्या हैं?

पार्किंसंस रोग के लक्षण अलग-अलग होते हैं। विशिष्ट लक्षण निम्न का संयोजन हैं

शुरुआती लक्षण अस्पष्ट और गैर-विशिष्ट हो सकते हैं, जिससे निदान करना मुश्किल हो जाता है। इनमें शामिल हो सकते हैं:

थकान रहना, बेचैनी होना

 तनावग्रस्त रहना

स्थानीयकृत मांसपेशी दर्द

पार्किंसंस रोग के साथ आपमें विकसित होने वाले अन्य लक्षण आपके चलने-फिरने के तरीके को प्रभावित करते हैं, जैसे:

संतुलन की कमी

बोलने में परेशानी

लिखने में दिक्कत होना

खाना निगलने में दिक्कत

निम्न रक्तचाप, विशेषकर जब लेटने से बैठने, या बैठने से खड़े होने की ओर जा रहा हो

गैर-गतिशीलता लक्षण भी हैं, जैसे:

नींद की समस्याएँ, जिनमें अपने सपनों को साकार करना और नींद में बातें करना शामिल है

कब्ज़, अपच

विचारों का धीमा होना

चिंता और अवसाद

गंध की अनुभूति में कमी

 थकान बनी रहना

अत्यधिक लार का उत्पादन

पार्किंसंस रोग के कई लक्षण अन्य स्थितियों के कारण हो सकते हैं। यदि आप अपने लक्षणों के बारे में चिंतित हैं, तो अपने डॉक्टर से मिलना एक अच्छा विचार है।पार्किंसंस रोग से पीड़ित अधिकांश लोगों का निदान 65 वर्ष की आयु के आसपास किया जाता है, लेकिन निदान किए गए 10 में से 1 व्यक्ति 45 वर्ष से कम उम्र का होता है।

योग और प्राणायाम से पार्किंसन रोग को ठीक कर सकते है

यदि आप पार्किंसन रोग के शुरूआती लक्षणों से प्रभावित है तो आप योगसन और प्राणायाम के द्वारा नियंत्रित कर सकते है नियमित योग अभ्यास से शरीर की स्नायु और मांसपेशियों को शक्तिशाली बनाया जाता है। शुरुआत में में योगासन से आपको थकान हो सकती है किन्तु नियमित अभ्यास से शरीर में रक्त संचार बढ़ेगा और शरीर स्वस्थ होगा । इसके आलावा आप प्रतिदिन सुबह की सैर और साइकिलिंग भी करते है तो लाभ होगा

योगासन

योगासनों का अभ्यास प्रारम्भ करने के पहले किसी योगगुरु से परामर्श अवश्य ले . आसनो का अभ्यास शारीरिक सक्षमता और रोग की उग्रता के अनुसार ही करें पार्किंसन रोग से ग्रसित व्यक्ति को पवनमुक्त आसन जरूर करना चाहिए।



इसके साथ ही उत्तानपादासन, धनुरासन, शलभासन, भुजंगासन, नौकासन, विपरीतकरणी, गोमुखासन, पश्चिमोत्तानासन और शवासन का प्रतिदिन अभ्यास करने से पार्किंसंस रोग के लक्षणों में कमी आती है। इन आसनो का अभ्यास एक से दो मिनट या शारीरिक सक्षमता के अनुरूप ही करें

प्राणायाम कौन कौन से कर सकते है

पार्किंसन रोग को ठीक करने में योग के साथ प्राणायाम बहुत ही लाभकारी है ।  प्राणायाम का अभ्यास करने से पूर्व आपको पद्मासन, अर्ध पद्मासन या सुखासन में बैठ जाये ध्यान रहे कमर और गर्दन सीधे रखे और अपनी श्वास प्रश्वास की गति को संतुलित करते हुए अभ्यास प्रारम्भ करें प्राणायाम करते समय जल्दवाजी करे सुखपुरक और शांत मन से करें तभी इनका लाभ देखने को मिलेगा, सबसे पहले  ऊं यानि उद्गीत प्राणायाम, नाड़ीशोधन, उज्जायी, अनुलोम-विलोम, भ्रामरी प्राणायाम, योग निद्रा का भी विशेष अभ्यास करने से आराम मिलता है।

प्राणायाम कितने समय तक करें

इन सभी प्राणायाम को शुरुआत आप 30 से 45 मिनट तक खाली पेट अभ्यास करे, तो आपको अत्यंत लाभ परिणित होंगे और आपका शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास होगा

प्रेक्षा चिकित्सा

प्रेक्षा यानि अपने अंदर देखना । ये बहुत ही कारगर चिकित्सा है, क्योंकि साइकोलॉजी यानि मनोविज्ञान के अनुसार जैसा आप सोचते है, वैसे ही आप बनते जाते है।

 यानि जब कोई व्यक्ति सोचता है की मैं बीमार हूँ, तो वो और बीमार होता जाता है । अगर आप पॉजिटिव यानि सकारात्मक रहते है तब आप उस बीमारी से जल्द ठीक होते है। ये वही चिकित्सा है इसमें आपको रात्रि या दिन में शांत चित बैठकर मानसिक जप यानि अपने आप से कहना है की मैं ठीक हो रहा हूँ, मैं जल्द से जल्द ठीक हो रहा हूँ ये प्रे यानि प्रार्थना आपको 5 10 मिनट जरूर करनी है इसके बहुत ही लाभ देखने को मिलेंगे, साथ ही अपने मन में संकल्प लेकर कहे की मैं सदैव सकारात्मक ऊर्जा से भरा हुआ हूँ, दूसरों की बुराई से दुखी हो ही किसी की बुराई करें हो सके तो एक माह तक जरूर करें ।

स्वस्थ आहार चिकित्सा

फलों, सब्जियों और अनाजों से भरपूर उच्च फाइबर युक्त आहार खाने और खूब पानी पीने से पार्किंसंस रोग में अक्सर होने वाली कब्ज को रोकने में मदद मिल सकती है। कब्ज को ठीक करने के लिए चोकर युक्त आटा खाये

जंक फूड और अनहेल्दी चीजें खाने से समस्या ज्यादा बढ़ सकती है. अत्यधिक कैफीन, प्रोसेस्ड फूड और रिफाइंड शुगर जैसे खाद्य पदार्थों का इस्तेमाल मेंटल हेल्थ के लिए समस्या पैदा कर सकता है । पार्किंसन रोग से जूझ रहे लोगों को जानकार हमेशा हेल्दी डाइट लेने की सलाह देते हैं।

योगाचार्य डॉ अनूप कुमार बाजपाई

संस्थापक 

आयुष योग एवं वैलनेस क्लिनिक

गुडगाँव, हरियाणा

8882916065 email yogawithanu@gmail.com

अधिक जानकारी के लिए अपने सुझाव और परामर्श के लिए आप ईमेल और मोबाइल के माध्यम से जुड़ सकते है

Tuesday, April 9, 2024

Sinus infection को ठीक कैसे करें क्या योग से sinus ठीक हो सकता है?

https://youtu.be/HXzu0q8X37A?si=VdJ5waqXzSPRsne- 

यदि आप एक month तक सकरात्मक रहते है तो आप जीवन

यदि आप एक month तक सकरात्मक रहते है तो आप जीवन 

मनुष्य बीमार कैसे होता है? बीमारियों की मुख्य वजह क्या है

 गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामायण के उतरकांड में वर्णन किया है

लोभ से कफ और क्रोध से पित्त

मनुष्य के रोगों का वर्णन करते हुए काक कहते हैं किमोह सकल ब्याधिन्ह कर मूला। तिन्ह ते पुनि उपहहिं बहु सूला।। काम बात कफ लोभ अपारा। क्रोध पित्त नित छाती जारा।। इस दोहे में काक भुशुंडि जी गरुङ जी को


 बताते हैं कि सब रोगों का मूल मोह यानी अज्ञान है। इससे कई अन्य रोग उत्पन्न होते हैं। इससे काम बढ़ता है जिससे वात रोग होता है। लोभ से कफ और क्रोध से पित्त बढ़कर छाती को जलाता है। कोरोना होने पर लोगों को ये सभी कष्ट होने लगते हैं कफ भर जाता है जो छाती को जलाने लगता है। 


इस संसार में सबसे दुर्लभ कौन सा शरीर है

 गरुङ जी के सात प्रश्न और कागभुशुंड जी उत्तर। 

प्रथमहिं कहहु नाथ मतिधीरा। सब ते दुर्लभ कवन सरीरा॥

बड़ दुख कवन कवन सुख भारी। सोउ संछेपहिं कहहु बिचारी॥2॥ 

भावार्थ:-हे नाथ! हे धीर बुद्धि! पहले तो यह बताइए कि सबसे दुर्लभ कौन सा शरीर है


फिर सबसे बड़ा दुःख कौन है और सबसे बड़ा सुख कौन है, यह भी विचार कर संक्षेप में ही कहिए॥2॥

नर तन सम नहिं कवनिउ देही। जीव चराचर जाचत तेही॥

नरक स्वर्ग अपबर्ग निसेनी। ग्यान बिराग भगति सुभ देनी॥5॥

भावार्थ:-मनुष्य शरीर के समान कोई शरीर नहीं है। चर-अचर सभी जीव उसकी याचना करते हैं। वह मनुष्य शरीर नरक, स्वर्ग और मोक्ष की सीढ़ी है तथा कल्याणकारी ज्ञान, वैराग्य और भक्ति को देने वाला है॥5॥

* सो तनु धरि हरि भजहिं न जे नर। होहिं बिषय रत मंद मंद तर॥

काँच किरिच बदलें ते लेहीं। कर ते डारि परस मनि देहीं॥6॥ 

भावार्थ:-ऐसे मनुष्य शरीर को धारण (प्राप्त) करके भी जो लोग श्री हरि का भजन नहीं करते और नीच से भी नीच विषयों में अनुरक्त रहते हैं, वे पारसमणि को हाथ से फेंक देते हैं और बदले में काँच के टुकड़े ले लेते हैं॥6॥

पंचांग के पाँच अंग होते हैं- ‘तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण।’

 चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य के शासनकाल में भारतीय मनीषियों ने कालगणना के लिए ब्रह्माण्ड का बहुत सूक्ष्मता से अध्ययन करते हुए भारतीय वैदिक ज्योतिष के आधार पर पंचांग बनाया। 

पंचांग के पाँच अंग होते हैं- ‘तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण।’


इन पाँच अंगों के योग के कारण ही इसे पंचांग कहा जाता है। 

हम मनुष्यों की देह भी पंचतत्व का योग है, यदि हमारे पाँच तत्व कालगणना के पाँच अंगों की लय से लय मिलाकर चलते हैं तब हमारा जीवन प्रलय का भागी नहीं होता क्योंकि प्रकृति की लय से लय टूटना ही प्रलय कहलाता है। इसलिए हिन्दू धर्म में पंचांग को परामर्शदाता कहा जाता है इसके परामर्श के बिना कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते। 

नव रात्रि और नव वर्ष के इस पावन अवसर पर परमब्रह्म परमात्मा से प्रार्थना है कि वे हमें भक्ति, शक्ति, युक्ति से सम्पन्न करें जिससे हम सोमवार से लेकर रविवार तक सातों वारों को शुचितापूर्वक साधते हुए अपने-अपने परिवारों का समुचित रक्षण, भरण, पोषण करते हुए अपने जीवन के प्रत्येक क्षण को सार्थकता प्रदान कर सकें। आप सभी को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं शुभम भवतु~# कॉपी फ्रॉमआशुतोष_राना 🌹🙏😊

Yoga and lifestyle changes for Parkinson's Disease patient . योग और प्राणायाम से पार्किंसन रोग को ठीक कर सकते है

World Parkinson Day 2024 11 अप्रैल वर्ल्ड पार्किंसन डे यानि को विश्व पार्किंसन दिवस मनाया जाता है पार्किंसन रोग नर्वस सिस्...