गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामायण के उतरकांड में वर्णन किया है
लोभ से कफ और क्रोध से पित्त
मनुष्य के रोगों का वर्णन करते हुए काक कहते हैं कि, मोह सकल ब्याधिन्ह कर मूला। तिन्ह ते पुनि उपहहिं बहु सूला।। काम बात कफ लोभ अपारा। क्रोध पित्त नित छाती जारा।। इस दोहे में काक भुशुंडि जी गरुङ जी को
बताते हैं कि सब रोगों का मूल मोह यानी अज्ञान है। इससे कई अन्य रोग उत्पन्न होते हैं। इससे काम बढ़ता है जिससे वात रोग होता है। लोभ से कफ और क्रोध से पित्त बढ़कर छाती को जलाता है। कोरोना होने पर लोगों को ये सभी कष्ट होने लगते हैं कफ भर जाता है जो छाती को जलाने लगता है।
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