Thursday, August 29, 2024

लोगों को खुश रखना एक कला है



 लोगों को खुश रखना एक कला है, एक विज्ञान नहीं। हर व्यक्ति अलग होता है, इसलिए एक ही तरीका सभी के लिए कारगर नहीं होगा। फिर भी, कुछ सामान्य बातें हैं जो आप लोगों को खुश रखने के लिए कर सकते हैं:

 * सुनें: सबसे महत्वपूर्ण बात है कि लोगों को ध्यान से सुनें। जब आप किसी की बात ध्यान से सुनते हैं, तो वे समझते हैं कि आप उनकी परवाह करते हैं।

 * सहानुभूति दिखाएं: दूसरों की भावनाओं को समझने की कोशिश करें और उन्हें बताएं कि आप उनकी भावनाओं को समझते हैं।

 * प्रशंसा करें: लोगों की अच्छी बातों की प्रशंसा करें। एक छोटी सी प्रशंसा भी किसी का दिन बना सकती है।

 * मदद करें: जब किसी को मदद की जरूरत हो, तो बिना किसी शर्त के मदद करें।

 * हंसें: हंसी एक संक्रामक भावना है। हंसना लोगों को तनावमुक्त महसूस कराता है और उनके साथ घनिष्ठ संबंध बनाने में मदद करता है।

 * सकारात्मक रहें: नकारात्मकता से बचें और सकारात्मक दृष्टिकोण रखें। सकारात्मक लोग दूसरों को भी सकारात्मक महसूस कराते हैं।

 * समय दें: लोगों को समय दें। व्यस्त जीवन शैली में, लोगों को समय देना बहुत महत्वपूर्ण है।

 * क्षमा करें: अगर आपसे कोई गलती हो जाए तो माफी मांगें और क्षमा करने की कोशिश करें।

 * दूसरों की मदद करें: दूसरों की मदद करने से आपको अच्छा महसूस होगा और यह दूसरों को भी खुश करेगा।

 * स्वयं पर ध्यान दें: खुद को खुश रखना भी जरूरी है। जब आप खुश होंगे, तो आप दूसरों को भी खुश रख पाएंगे।

कुछ अतिरिक्त सुझाव:

 * व्यक्तिगत स्पर्श जोड़ें: एक छोटा सा उपहार, एक हाथ मिलाना या एक गर्मजोशी भरा आलिंगन किसी का दिन बना सकता है।

 * हास्य की भावना विकसित करें: हास्य एक शक्तिशाली उपकरण है जो लोगों को जोड़ने और तनाव कम करने में मदद करता है।

 * रचनात्मक बनें: लोगों को खुश रखने के लिए रचनात्मक तरीके खोजें।

 * धैर्य रखें: लोगों को खुश रखने में समय लग सकता है। धैर्य रखें और लगातार प्रयास करते रहें।

याद रखें:

 * हर व्यक्ति अलग होता है, इसलिए लोगों को खुश रखने के लिए अलग-अलग तरीकों की आवश्यकता होती है।

 * सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आप ईमानदार और सच्चे रहें।

 * दूसरों की भावनाओं को समझने की कोशिश करें।

 * सकारात्मक रहें और दूसरों को भी सकारात्मक महसूस कराएं।

अंत में, लोगों को खुश रखना एक सतत प्रक्रिया है। इसमें लगातार प्रयास करने की आवश्यकता होती है।

क्या आप लोगों को खुश रखने के बारे में और अधिक जानना चाहते हैं?


योग और आध्यात्मिकता: एक गहरा संबंध

 योग और आध्यात्मिकता: एक गहरा संबंध


योग सिर्फ एक व्यायाम नहीं है, बल्कि एक प्राचीन भारतीय दर्शन है जो शरीर, मन और आत्मा को एकजुट करने का मार्ग दिखाता है। यह आध्यात्मिक विकास की एक यात्रा है, जिसमें हम अपने भीतर की शक्ति और ज्ञान को खोजते हैं।

योग और आध्यात्मिकता के बीच गहरा संबंध है।

 * आत्म-अनुशासन: योग हमें आत्म-अनुशासन सिखाता है, जो आध्यात्मिक विकास के लिए आवश्यक है।

 * ध्यान: योग में ध्यान एक महत्वपूर्ण अंग है जो हमें अपने भीतर की ओर ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है।

 * अंतर्मुखी होना: योग हमें अपनी भावनाओं और विचारों को समझने में मदद करता है और हमें अधिक अंतर्मुखी बनाता है।

 * सर्वव्यापकता: योग हमें यह समझने में मदद करता है कि हम सभी एक दूसरे से जुड़े हुए हैं और पूरे ब्रह्मांड से जुड़े हुए हैं।

 * मोक्ष: योग का अंतिम लक्ष्य मोक्ष या मुक्ति है, जो आध्यात्मिक मुक्ति की अवस्था है।

योग के माध्यम से आध्यात्मिक विकास के कुछ तरीके:

 * आसन: आसन हमें शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाते हैं और हमें ध्यान के लिए तैयार करते हैं।

 * प्राणायाम: प्राणायाम हमें अपनी श्वास को नियंत्रित करने में मदद करते हैं और हमारे मन को शांत करते हैं।

 * ध्यान: ध्यान हमें अपने भीतर की ओर ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है और हमें आत्म-साक्षात्कार की ओर ले जाता है।

 * मंत्र जाप: मंत्र जाप हमें एकाग्रता और ध्यान में मदद करता है।

योग और आध्यात्मिकता के लाभ:

 * तनाव कम करना: योग तनाव और चिंता को कम करने में मदद करता है।

 * मानसिक स्वास्थ्य में सुधार: योग मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करता है और हमें अधिक खुश और संतुष्ट महसूस कराता है।

 * शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार: योग शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार करता है और हमें बीमारियों से बचाता है।

 * आत्म-ज्ञान: योग हमें अपने बारे में अधिक जानने में मदद करता है और हमें आत्म-ज्ञान प्राप्त करने में मदद करता है।

निष्कर्ष:

योग और आध्यात्मिकता एक दूसरे से अविभाज्य हैं। योग हमें आध्यात्मिक विकास के मार्ग पर चलने में मदद करता है। यदि आप आध्यात्मिक रूप से विकसित होना चाहते हैं, तो योग एक शानदार उपकरण है।

क्या आप योग और आध्यात्मिकता के बारे में और जानना चाहते हैं?

यहां कुछ विशिष्ट विषयों पर चर्चा की जा सकती है:

 * विभिन्न योग शैलियाँ और उनके आध्यात्मिक महत्व

 * योग और अन्य धर्मों के बीच संबंध

 * योग और आधुनिक जीवन शैली

 * योग शिक्षक कैसे चुनें

मुझे बताएं कि आप किस विषय पर अधिक जानना चाहते हैं।

Dr Anoop Kumar Bajpai

8882916065

आंवला खाने के फायदे

 आंवला खाने के फायदे



आंवला सेहत के लिए बेहद फायदेमंद है। इसमें विटामिन सी, एंटीऑक्सीडेंट्स और कई अन्य पोषक तत्व होते हैं जो शरीर को कई तरह से फायदा पहुंचाते हैं।

आंवला खाने के कुछ प्रमुख फायदे इस प्रकार हैं:

 * इम्यूनिटी बढ़ाता है: आंवला में विटामिन सी भरपूर मात्रा में होता है जो इम्यूनिटी को मजबूत बनाने में मदद करता है।

 * पाचन दुरुस्त करता है: आंवला में फाइबर होता है जो पाचन को दुरुस्त रखता है। यह कब्ज और एसिडिटी जैसी समस्याओं से राहत दिलाता है।

 * त्वचा के लिए फायदेमंद: आंवला में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो त्वचा को स्वस्थ रखते हैं और झुर्रियों को कम करने में मदद करते हैं।

 * बालों के लिए फायदेमंद: आंवला बालों को मजबूत बनाता है और बालों का झड़ना कम करता है।

 * डायबिटीज में फायदेमंद: आंवला ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद करता है।

 * दिल के लिए फायदेमंद: आंवला दिल को स्वस्थ रखने में मदद करता है।

आंवला का सेवन करने के तरीके:

 * आंवले का जूस: आप आंवले का जूस पी सकते हैं।

 * आंवला का मुरब्बा: आप आंवले का मुरब्बा खा सकते हैं।

 * आंवला चूर्ण: आप आंवले का चूर्ण पानी में मिलाकर पी सकते हैं।

ध्यान दें:

 * आंवला खाने से पहले किसी डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है।

 * अगर आपको कोई एलर्जी है तो आंवला का सेवन करने से पहले सावधान रहें।

अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर या आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से संपर्क कर सकते हैं।

क्या आप आंवला के बारे में और कुछ जानना चाहते हैं?


Tuesday, June 18, 2024

Hind ke Sirara sohar in Panchayat web series 3 Lyrics अरे अइसन मनोहर मंगल मूरत…..सुहावन सुन्दर सूरत… हो

 


अरे अइसन मनोहर मंगल मूरत…..सुहावन सुन्दर सूरत… हो

 


 ये राजाजी3 ये करे ता रहलबा जरूरत मुहूरत खूबसूरत हो

 ये राजाजी ये करे ता रहलबा जरूरत मुहूरत खूबसूरत हो

 ये राजाजी ये करे ता रहलबा जरूरत मुहूरत खूबसूरत हो

 

1. अरे हमारा जनाता बबुआ जी एम होईहैं, ना ना ललना डी एम होईहैं हो,

     ये ललना 3 हिंद के सितारा ता सी एम होईहैं, ओसे उपरा पीएम होईहैं हो

     ये ललना हिंद के सितारा ता सी एम होईहैं, ओसे उपरा पीएम होईहैं हो

    ये ललना हिंद के सितारा ता सी एम होईहैं, ओसे उपरा पीएम होईहैं हो


  2. होईहैं वाईस चांसलर यूनिवर्सिटी, के मेयर लंदन सिटी केनु हो,

     ये ललना3 होम सेकेट्री गौरमेंट्री के ता हीरा अपना मिट्टी केनु हो

     ये ललना होम सेकेट्री गौरमेंट्री के ता हीरा अपना मिट्टी केनु हो

     ये ललना होम सेकेट्री गौरमेंट्री के ता हीरा अपना मिट्टी केनु हो

 

3. अरे बबुआ हमार महाराज होईहैं राजाधिराज होईहैं हो

   ये ललना3 धातु में हीरा पुखराज होईहैं, सिरवा के ताज होईहैं हो

   ये ललना धातु में हीरा पुखराज होईहैं सिरवा के ताज होईहैं हो

   ये ललना धातु में हीरा पुखराज होईहैं,  सिरवा के ताज होईहैं हो

 

4. मुनिबाबा अइसन बाबू ज्ञानी होईहैं राजाजी अइसन दानी होईहैं हो

     ये ललना3 अखिल भूमंडल राजधानी होईहैं बा पे जस खानदानी होईहैं हो

     ये ललना अखिल भूमंडल राजधानी होईहैं बा पे जस खानदानी होईहैं हो

     ये ललना अखिल भूमंडल राजधानी होईहैं बा पे जस खानदानी होईहैं हो


ye bahut hi prashidh sohar hai jo kisi ke ghar bachcha hone par goan ki mahilaye badhayi dete huye gaati hai. 

 


Wednesday, April 10, 2024

Yoga and lifestyle changes for Parkinson's Disease patient . योग और प्राणायाम से पार्किंसन रोग को ठीक कर सकते है



World Parkinson Day 2024



11 अप्रैल वर्ल्ड पार्किंसन डे यानि को विश्व पार्किंसन दिवस मनाया जाता है पार्किंसन रोग नर्वस सिस्टम में धीरे धीरे बढ़ने वाला एक डिसऑर्डर यानि विकार है जिससे सम्पूर्ण शरीर की कार्य प्रणाली प्रभावित होती है इसके लक्षण निम्न प्रकार है शरीर में कम्पन, धीमी गतविधि, सख्त मांसपेशिया, शरीर की असाधारण मुद्रा और संतुलन, स्वाभाविक गतविधियों में विराम, बोली में बदलाव, लिखने पढ़ने में दिक्कत आदि

पार्किंसंस रोग एक गतिविधि और मनोदशा संबंधी विकार है। यह एक ऐसी स्थिति है जो समय के साथ बढ़ती है और तब होती है जब मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिकाएं डोपामाइन नामक रसायन को पर्याप्त मात्रा में नहीं बना पाती हैं डोपामाइन एक रसायन है जो स्वाभाविक रूप से आपके मस्तिष्क में बनता है, और आपकी मांसपेशियों और गति के सुचारू नियंत्रण के लिए महत्वपूर्ण है।

पार्किंसंस रोग के लक्षण क्या हैं?

पार्किंसंस रोग के लक्षण अलग-अलग होते हैं। विशिष्ट लक्षण निम्न का संयोजन हैं

शुरुआती लक्षण अस्पष्ट और गैर-विशिष्ट हो सकते हैं, जिससे निदान करना मुश्किल हो जाता है। इनमें शामिल हो सकते हैं:

थकान रहना, बेचैनी होना

 तनावग्रस्त रहना

स्थानीयकृत मांसपेशी दर्द

पार्किंसंस रोग के साथ आपमें विकसित होने वाले अन्य लक्षण आपके चलने-फिरने के तरीके को प्रभावित करते हैं, जैसे:

संतुलन की कमी

बोलने में परेशानी

लिखने में दिक्कत होना

खाना निगलने में दिक्कत

निम्न रक्तचाप, विशेषकर जब लेटने से बैठने, या बैठने से खड़े होने की ओर जा रहा हो

गैर-गतिशीलता लक्षण भी हैं, जैसे:

नींद की समस्याएँ, जिनमें अपने सपनों को साकार करना और नींद में बातें करना शामिल है

कब्ज़, अपच

विचारों का धीमा होना

चिंता और अवसाद

गंध की अनुभूति में कमी

 थकान बनी रहना

अत्यधिक लार का उत्पादन

पार्किंसंस रोग के कई लक्षण अन्य स्थितियों के कारण हो सकते हैं। यदि आप अपने लक्षणों के बारे में चिंतित हैं, तो अपने डॉक्टर से मिलना एक अच्छा विचार है।पार्किंसंस रोग से पीड़ित अधिकांश लोगों का निदान 65 वर्ष की आयु के आसपास किया जाता है, लेकिन निदान किए गए 10 में से 1 व्यक्ति 45 वर्ष से कम उम्र का होता है।

योग और प्राणायाम से पार्किंसन रोग को ठीक कर सकते है

यदि आप पार्किंसन रोग के शुरूआती लक्षणों से प्रभावित है तो आप योगसन और प्राणायाम के द्वारा नियंत्रित कर सकते है नियमित योग अभ्यास से शरीर की स्नायु और मांसपेशियों को शक्तिशाली बनाया जाता है। शुरुआत में में योगासन से आपको थकान हो सकती है किन्तु नियमित अभ्यास से शरीर में रक्त संचार बढ़ेगा और शरीर स्वस्थ होगा । इसके आलावा आप प्रतिदिन सुबह की सैर और साइकिलिंग भी करते है तो लाभ होगा

योगासन

योगासनों का अभ्यास प्रारम्भ करने के पहले किसी योगगुरु से परामर्श अवश्य ले . आसनो का अभ्यास शारीरिक सक्षमता और रोग की उग्रता के अनुसार ही करें पार्किंसन रोग से ग्रसित व्यक्ति को पवनमुक्त आसन जरूर करना चाहिए।



इसके साथ ही उत्तानपादासन, धनुरासन, शलभासन, भुजंगासन, नौकासन, विपरीतकरणी, गोमुखासन, पश्चिमोत्तानासन और शवासन का प्रतिदिन अभ्यास करने से पार्किंसंस रोग के लक्षणों में कमी आती है। इन आसनो का अभ्यास एक से दो मिनट या शारीरिक सक्षमता के अनुरूप ही करें

प्राणायाम कौन कौन से कर सकते है

पार्किंसन रोग को ठीक करने में योग के साथ प्राणायाम बहुत ही लाभकारी है ।  प्राणायाम का अभ्यास करने से पूर्व आपको पद्मासन, अर्ध पद्मासन या सुखासन में बैठ जाये ध्यान रहे कमर और गर्दन सीधे रखे और अपनी श्वास प्रश्वास की गति को संतुलित करते हुए अभ्यास प्रारम्भ करें प्राणायाम करते समय जल्दवाजी करे सुखपुरक और शांत मन से करें तभी इनका लाभ देखने को मिलेगा, सबसे पहले  ऊं यानि उद्गीत प्राणायाम, नाड़ीशोधन, उज्जायी, अनुलोम-विलोम, भ्रामरी प्राणायाम, योग निद्रा का भी विशेष अभ्यास करने से आराम मिलता है।

प्राणायाम कितने समय तक करें

इन सभी प्राणायाम को शुरुआत आप 30 से 45 मिनट तक खाली पेट अभ्यास करे, तो आपको अत्यंत लाभ परिणित होंगे और आपका शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास होगा

प्रेक्षा चिकित्सा

प्रेक्षा यानि अपने अंदर देखना । ये बहुत ही कारगर चिकित्सा है, क्योंकि साइकोलॉजी यानि मनोविज्ञान के अनुसार जैसा आप सोचते है, वैसे ही आप बनते जाते है।

 यानि जब कोई व्यक्ति सोचता है की मैं बीमार हूँ, तो वो और बीमार होता जाता है । अगर आप पॉजिटिव यानि सकारात्मक रहते है तब आप उस बीमारी से जल्द ठीक होते है। ये वही चिकित्सा है इसमें आपको रात्रि या दिन में शांत चित बैठकर मानसिक जप यानि अपने आप से कहना है की मैं ठीक हो रहा हूँ, मैं जल्द से जल्द ठीक हो रहा हूँ ये प्रे यानि प्रार्थना आपको 5 10 मिनट जरूर करनी है इसके बहुत ही लाभ देखने को मिलेंगे, साथ ही अपने मन में संकल्प लेकर कहे की मैं सदैव सकारात्मक ऊर्जा से भरा हुआ हूँ, दूसरों की बुराई से दुखी हो ही किसी की बुराई करें हो सके तो एक माह तक जरूर करें ।

स्वस्थ आहार चिकित्सा

फलों, सब्जियों और अनाजों से भरपूर उच्च फाइबर युक्त आहार खाने और खूब पानी पीने से पार्किंसंस रोग में अक्सर होने वाली कब्ज को रोकने में मदद मिल सकती है। कब्ज को ठीक करने के लिए चोकर युक्त आटा खाये

जंक फूड और अनहेल्दी चीजें खाने से समस्या ज्यादा बढ़ सकती है. अत्यधिक कैफीन, प्रोसेस्ड फूड और रिफाइंड शुगर जैसे खाद्य पदार्थों का इस्तेमाल मेंटल हेल्थ के लिए समस्या पैदा कर सकता है । पार्किंसन रोग से जूझ रहे लोगों को जानकार हमेशा हेल्दी डाइट लेने की सलाह देते हैं।

योगाचार्य डॉ अनूप कुमार बाजपाई

संस्थापक 

आयुष योग एवं वैलनेस क्लिनिक

गुडगाँव, हरियाणा

8882916065 email yogawithanu@gmail.com

अधिक जानकारी के लिए अपने सुझाव और परामर्श के लिए आप ईमेल और मोबाइल के माध्यम से जुड़ सकते है

Tuesday, April 9, 2024

Sinus infection को ठीक कैसे करें क्या योग से sinus ठीक हो सकता है?

https://youtu.be/HXzu0q8X37A?si=VdJ5waqXzSPRsne- 

यदि आप एक month तक सकरात्मक रहते है तो आप जीवन

यदि आप एक month तक सकरात्मक रहते है तो आप जीवन 

मनुष्य बीमार कैसे होता है? बीमारियों की मुख्य वजह क्या है

 गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामायण के उतरकांड में वर्णन किया है

लोभ से कफ और क्रोध से पित्त

मनुष्य के रोगों का वर्णन करते हुए काक कहते हैं किमोह सकल ब्याधिन्ह कर मूला। तिन्ह ते पुनि उपहहिं बहु सूला।। काम बात कफ लोभ अपारा। क्रोध पित्त नित छाती जारा।। इस दोहे में काक भुशुंडि जी गरुङ जी को


 बताते हैं कि सब रोगों का मूल मोह यानी अज्ञान है। इससे कई अन्य रोग उत्पन्न होते हैं। इससे काम बढ़ता है जिससे वात रोग होता है। लोभ से कफ और क्रोध से पित्त बढ़कर छाती को जलाता है। कोरोना होने पर लोगों को ये सभी कष्ट होने लगते हैं कफ भर जाता है जो छाती को जलाने लगता है। 


इस संसार में सबसे दुर्लभ कौन सा शरीर है

 गरुङ जी के सात प्रश्न और कागभुशुंड जी उत्तर। 

प्रथमहिं कहहु नाथ मतिधीरा। सब ते दुर्लभ कवन सरीरा॥

बड़ दुख कवन कवन सुख भारी। सोउ संछेपहिं कहहु बिचारी॥2॥ 

भावार्थ:-हे नाथ! हे धीर बुद्धि! पहले तो यह बताइए कि सबसे दुर्लभ कौन सा शरीर है


फिर सबसे बड़ा दुःख कौन है और सबसे बड़ा सुख कौन है, यह भी विचार कर संक्षेप में ही कहिए॥2॥

नर तन सम नहिं कवनिउ देही। जीव चराचर जाचत तेही॥

नरक स्वर्ग अपबर्ग निसेनी। ग्यान बिराग भगति सुभ देनी॥5॥

भावार्थ:-मनुष्य शरीर के समान कोई शरीर नहीं है। चर-अचर सभी जीव उसकी याचना करते हैं। वह मनुष्य शरीर नरक, स्वर्ग और मोक्ष की सीढ़ी है तथा कल्याणकारी ज्ञान, वैराग्य और भक्ति को देने वाला है॥5॥

* सो तनु धरि हरि भजहिं न जे नर। होहिं बिषय रत मंद मंद तर॥

काँच किरिच बदलें ते लेहीं। कर ते डारि परस मनि देहीं॥6॥ 

भावार्थ:-ऐसे मनुष्य शरीर को धारण (प्राप्त) करके भी जो लोग श्री हरि का भजन नहीं करते और नीच से भी नीच विषयों में अनुरक्त रहते हैं, वे पारसमणि को हाथ से फेंक देते हैं और बदले में काँच के टुकड़े ले लेते हैं॥6॥

समस्या बिना कारण नहीं आती, उनका आना आपके लिए इशारा है कि कुछ बदलाव

जीवन में समस्याएं आना आम है। लेकिन इनसे घबराने की बजाय, इनका सामना करने और अपनी ज़िंदगी को बेहतर बनाने के कई तरीके हैं। यहाँ कुछ सुझाव दिए ग...