Thursday, January 16, 2020

अमीर कैसे बने, सफलता कैसे पाए How to become Rich

पैसे कैसे कमाए,  अमीर बने, सफलता कैसे पाए.............
अनूप कुमार बाजपेई
योग चिकित्सक 
Mobile + 918882916065

दोस्तों दुनिया में कौन ऐसा इंसान होगा जो अमीर, पैसेवाला न बनना चाहे सभी की यही चाहत होती है की उसके पास दुनिया की सम्पूर्ण दौलत हो और वह अम्बानी, जेफ़ बेजोस, बिल गेट्स, मित्तल जैसा धनवान हो परन्तु अमीर बनना इतना भी सरल नहीं है की अमीर बनने के लिए आपको निरंतर कठिन परिश्रम करने की आवश्यकता होती है और ये लगन आपको कुछ साल में दिखाई देने लगती है । दुनिया में जितने भी अमीर या धनवान लोग है उन्होने अपने जीवन का एक लक्ष्य बनाया और उस पर निरंतर बिना रोके काम किया । जब तक आप लक्ष्य का निर्धारण नहीं करेंगे तब तक आपको पता ही नहीं चलेगा की आपको करना क्या है ।

१. अमीर बनने के लिए सबसे पहले आप अपना लक्ष्य निर्धारण करे और उसको पूरा करने में अपनी पूरी ऊर्जा लगा दे ।
२. लक्ष्य निर्धारण के बाद आप निरंतर कठिन परिश्रम करते रहे हो सकता है आपको लक्ष्य तक पहुंचने में अनेक कठिनाईयां आये आपको धैर्य रखना है ।
३. धैर्य रखते हुए अपने लक्ष्य की तरफ अपने कदम बढ़ाते चले रोकना नहीं है चाहे कितनी भी बाधाएं आये ।
४. आप कई बार असफल भी होंगे परन्तु इसका मतलब ये नहीं की, आप कभी सफल नहीं होंगे आप निरंतर परिश्रम करते रहे क्योंकि लोहा जितना तपता है उतना मजबूत होता है ।
५. जितने भी महान और सफल लोग है उन्होंने अपने जीवन में अनेक बार असफलता देखी है परन्तु उनका हौसला कभी अपने लक्ष्य से डिगा नहीं और अधिक ऊर्जा से उस काम में लग गए थे ।
६. अमीर बनने के लिए आपको कुछ नया और एकदम अलग आईडिया खोजना पड़ेगा जो आपको बहुत अमीर बना देगा ।
७. फ्लिपकार्ट कंपनी को ही ले जब इसकी शुरुआत एक गोदाम से हुई और लोगो ने बोला की ऑनलाइन सामान कौन खरीदेगा परन्तु लोग गलत साबित हुए और कंपनी ने लोगो को मालामाल कर दिया.
८. रतन टाटा ने भी लखटकिया कार बनाने में अपना सब बहुत पैसा खर्च किया परन्तु कार इतनी सफल नहीं हुयी इससे पता चला की जरूरी नहीं की आप हर जगह सफल हो लेकिन इरादा बहुत मजबूत होना चाहिए ।
९. विलियम फोर्ड ने जब दुनिया की पहेली कार बनायीं जब लोगों ने देखा तू बोले ये कैसे चलेगी ये तो चल ही नहीं पायेगी, जब कार चलने लगी तो बोलने लगे की अब ये रुकेगी ही नहीं तो आप निश्चिंत होकर अपने लक्ष्य में लग जाये और लोग क्या बोलेगे न सोचे और अपने लक्ष्य की तरफ निरंतर बढ़ते रहे आप एक दिन अवश्य सफल होंगे और दुनिया के सबसे अमीर इंसान बन जायेगे इसमें कोई शक नहीं है ।
१०. अमीर लोग भी हममे से ही है वो किसी दूसरी दुनिया से नहीं आये बस उनमे और हममे फर्क सिर्फ इतना है की उन्होंने अपने जूनून को कभी छोड़ा नहीं और निरंतर उस पर लगे रहे उनको पूर्ण विश्वाश था की एक न एक दिन सफल जरूर होंगे ।
११. जब आप सफल होते है तो धन, मान, सम्मान और सुकून अपने आप मिलता जाता है ।
१२. हर इंसान अपने जीवन में सफल और धनवान हो सकता है बसर्ते वह खुद को यह विश्वास दे पाए की एक न एक दिन आप अवश्य ही सफल और धनवान हो जायेगे ये बात आपको माननी ही पड़ेगी तभी आप उस तक पहुंच सकते है ।
१३. जो लोग जितने सकारात्मक होते है उनके सफल होने की सम्भावना अधिक होती है और ये अपने जीवन को सफल बना कर ही दम देते है ।
१४. यदि आप खुद पर विश्वास करते है तो आप दुनिया को जीत सकते है और यही आपका आत्मविश्वास मजबूत बनाता है ।

Healthy Living Habbits, स्वस्थ जीवन कैसे जिए ?


स्वस्थ जीवन कैसे जिए ?
अनूप कुमार बाजपेई
योग चिकित्सक 
Mobile + 918882916065


यदि आप अपने को हमेशा जवान एवं स्वस्थ रखना चाहते है तो अपनी दिनचर्या में कुछ नियमो को जोड़ ले यकीन मानिए आप ताउम्र खुशहाल और स्वस्थ जीवन जियेंगे। प्रकति ने कुछ अपने नियम बनाये है यदि आप उन नियमों को अपने जीवन में परिणित कर लेते है तो आप हमेशा रोगमुक्त जीवन जी सकते है । मनुष्य अपनी दिनचर्या एवं खानपान नियंत्रण द्वारा स्वस्थ जीवन की कल्पना कर सकता है दिनचर्या में आप समय पर सोना, जागना, उठना, बैठना एवं प्रकति से जुड़े रहना शामिल है। योग पिछले कई दशकों से आधुनिक बिमारियों जैसे मानसिक तनाव, मोटापा, डायबिटीज, उच्य रक्तचाप, ह्रदय घात, गंभीर श्वशन रोग, दमा, अस्थमा एवं माइग्रेन आदि रोगों में चिकित्सीय उद्देश्य में अनुशंधान का प्रमुख विषय बना हुआ है । 

अनेक शोध अध्ध्यनों से स्पस्ट है की योग के द्वारा प्राचीनकाल से ही अनेक तरह की रोगों एवं गंभीर बिमारियों को ठीक करने में सहायक है, साथ ही इसके अभूतपूर्व लाभ एवं प्रभाव देखने में आते है। वर्तमान में जितने भी शोध कार्य हो रहे है उनमे योगासन एवं प्राणायाम के माधयम अनेक रोंगो का इलाज सफलतापूर्वक किया जा रहा है।

१. ताजा एवं शुद्ध खानपान -कहावत है जैसा खाये अन्न, बैसा होव मन । आयुर्वेद में मनुष्य के खानपान पर बहुत ही ज्यादा ध्यान दिया गया है कोशिश करे सदैव ताज़ा एवं शुद्ध भोजन ही करे अन्यथा न करे । क्योंकि जो भी हम खाते है उसका प्रभाव हमरे शरीर, इन्द्रीओं एवं मन पर पड़ता है और शरीर से वैसे  ही हार्मोन का रिसाव होता है जो की अमृत या विष भी हो सकता है । हो सके तो हरी पत्तेदार सब्जियां, दाल, फल एवं चोकर युक्त आटे की रोटियां और घर का पका हुआ खाना खाये । 
डिब्बा बंद भोजन बहुत ही हानिकारक होता है साथ ही सफ़ेद चीजे जैसे चीनी, नमक, मैदा, चावल एवं आलू का सेवन कम से कम करे और दिन में २ से तीन लीटर जल आवश्य पिए । जब आप गुस्से या तनाव में हो उस समय भोजन न करे अन्यथा वो आपको विमार बना देगा, खुश होकर और आराम से धीरे धीरे भोजन करे और पानी का सेवन ३० मिनट बाद करे तब आप हमेशा स्वस्थ एवं खुशहाल रहेंगे ।

२. वजन को नियंत्रित रखे - आज समस्त विश्व में मोटापे के कारण लाखों लोग अपनी जान गवा रहे है मोटापे से अनेक बीमारियां होती है जैसे - शुगर, उच्य रक्तचाप, अनिद्रा, खर्राटे आना आदि । आपकी लम्बाई के अनुसार आपका वजन होना चाहिए जिसे BMI सूचकांक द्वारा मापा जाता है यदि आपका वजन अधिक है तो आपका BMI अधिक रहेगा, अतः आप अपने वजन को नियंत्रित करे और बिमारियों से बचे । वजन बढ़ने की मुख्य वजह अत्यधिक खानपान एवं अंनियंत्रित जीवनशैली है । जब भूख लगे तभी खाये और पेट को डस्टबिन न समझे, जो मन में सब न खाये शांत मन से अच्छा भोजन ही करे तभी आपका वजन नियंत्रित रहेगा ।

३. एक घंटा अपने लिए निकाले : ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक आलेख के अनुसार जो व्यक्ति प्रतिदिन व्यायाम या योग करते है उनकी उम्र अधिक होती है । आप लम्बी उम्र और रोगमुक्त जीवन चाहते है तो आपको नित्य अपने लिए एक घंटा देना ही होगा तभी आप स्वस्थ और खुशहाल जीवन जी पाएंगे । आइये जानते है एक घंटा इतना महत्पूर्ण क्यों है, अनेक वैज्ञानिक अध्ध्यनों से ज्ञात होता है की जो व्यक्ति रोज एक घंटा कसरत, व्यायाम, जिम, साइकिलिंग, रनिंग और योग करते है वो आम व्यक्ति जो बिलकुल भी व्यायाम नहीं करते उनसे अधिक उम्र तक निरोगी होकर जीते है । अनेक योग अध्ध्यनों से स्पस्ट है की योग से मन, शरीर एवं इंद्रियां आपके अनुसार काम करती है आप अधिक कुशलता सोच पाते है । योग एक आध्यत्मिक प्रक्रिया एवं विज्ञान है, जिसके द्वारा शरीर, मन (इन्द्रियों) और आत्मा को एक साथ लाने का कार्य ही योग है ।

४. हमेशा सकारात्मक रहे : यदि आप स्वस्थ जीवन की कल्पना करते है तो आप हमेशा सकारात्मक रहने का प्रयास करे । थिंक पॉजिटिव बी ऑप्टिमिस्टिक यानि जब तक आप सकारात्मक रहेंगे आपकी सोच भी सकारात्मक रहेगी और आप औरों से अधिक सफल रहेंगे । अपने विचारों को हमेशा शुद्ध एवं सकारात्मक रखे इससे आपको अन्नत ऊर्जा मिलेगी साथ ही आप अपने जीवन में आने वाली समस्याओं को आसानी से हल कर पाएंगे, जब आप सकारात्मक रहेंगे तो आपके अंदर बिषैले पदार्थों का रिसाव नहीं होगा और आप हमेशा स्वस्थ जीवन जियेंगे । 
मानव शरीर में खुद को ठीक करने की अद्भुद विराजमान है सेल्फ मैडिटेशन या सेल्फ हीलिंग बहुत ही कारगर पद्धति है यदि आप निरंतर अच्छा सोचते है तो आप एक दिन अवश्य ही अच्छे बन जायेंगे, अमेरिका में सेल्फ हीलिंग यानि खुद को ठीक करने का बहुत बड़ा अस्पताल है वहां पर हर व्यक्ति खुद को सही करने के लिए अपने मन में सदैव विश्वास करता है । यदि आप निरंतर सोचते रहेंगे की में बीमार हूँ तो आप निश्चित ही बीमार हो जायेंगे ठीक उसी प्रकार यदि आप खुद को समझाने में सफल रहे की अब में स्वस्थ हो रहा हूँ तो एक दिन आप अवश्य ठीक हो जायेंगे ।

५. बच्चे बनकर जिए : यदि आप स्वस्थ रहना चाहते है तो अपने अंदर की बच्चे को जगा कर रखें खूब हसे, ठहाके लगाए, बच्चों के साथ खेले और हो सके तो अपने अहम को त्याग दे और जिस तरह छोटा बच्चा रहता है वैसे रहने का प्रयास अवश्य करे यकीन मानिये आप हमेशा जवान और खुशहाल रहेंगे । अपने को हमेशा वर्तमान में रखने की कोशिश करे न ही भूतकाल में जाये और न ही भविष्य की कल्पनाओं में खोये रहे यदि आप वर्तमान में रहते है तो उस हर एक पल को खुलकर जिए और निश्चिन्त रहे, क्योंकि आपके हाथ में कुछ नहीं है आप न ही किसी को बना सकता है और न ही समझा सकते है दूसरों को समझाते समझाते आप न समझ हो जायेंगे ।

६. नशे से दूर रहे : स्वस्थ जीवन जीने के लिए नशें से दूर रहना परम आवश्यक है यदि आप इस भयानक आग से दूर रहेंगे तो आप निश्चित ही स्वस्थ एवं खुशहाल जीवन की भागीदार होंगे अन्यथा आप भी लिवर, किडनी, और मानसिक रोगों से मुक्त नहीं रह पयोगे । शराब, धूम्रपान, जुआ, लालच ये सभी बहुत ही खतरनाक नशे है इनसे हमेशा दूर रहे तभी आप रोगमुक्त जीवन जी सकते है


Tuesday, December 10, 2019

योग एवं स्वास्थ: एक समीक्षात्मक अध्ययन (Effect of Yoga on Health: A Review Study)



योग पिछले कई दशकों से आधुनिक बिमारियों जैसे मानसिक तनाव, मोटापा, डायबिटीज, उच्य रक्तचाप, ह्रदय घात, गंभीर श्वशन रोग, दमा, अस्थमा एवं माइग्रेन आदि रोगों में चिकित्सीय उद्देश्य में अनुशंधान का प्रमुख विषय बना हुआ है । अनेक शोध अध्ध्यनों से स्पस्ट है की योग के द्वारा प्राचीनकाल से ही अनेक तरह की रोगों एवं गंभीर बिमारियों को ठीक करने में सहायक है, साथ ही इसके अभूतपूर्व लाभ एवं प्रभाव देखने में आते है। वर्तमान में जितने भी शोध कार्य हो रहे है उनमे योगासन एवं प्राणायाम के माधयम अनेक रोंगो का इलाज सफलतापूर्वक किया जा रहा है। योग द्वारा इन रोगों को बिना किसी औषधि से ठीक कर रहे है । योग, प्राणायाम, ध्यान आदि की निरंतर अभ्यास से अनेक रोगों से बचा जा सकता है। आजकल लोगों में आम धारणा यह है की योग के द्वारा सिर्फ बीमारियों को सही किया जाता है और जब आप रोगग्रस्त हो तो योग करे है जबकि योग इससे भी कही आगे है का विज्ञान है ।

योग एक आध्यत्मिक प्रक्रिया एवं विज्ञान है, जिसके द्वारा शरीर, मन (इन्द्रियों) और आत्मा को एक साथ लाने का कार्य ही योग है । इस प्रकार ‘योग शब्द का अर्थ हुआ- समाधि अर्थात् चित्त वृत्तियों का निरोध । महर्षि पतंजलि ने योगदर्शन में, जो परिभाषा दी है वो इस प्रकार है 'योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः', चित्त की वृत्तियों के निरोध का नाम योग है। इस वाक्य के दो अर्थ हो सकते हैं: चित्तवृत्तियों के निरोध की अवस्था का नाम योग है या इस अवस्था को लाने के उपाय को योग कहते हैं। 

योगसूत्र, योग दर्शन का मूल ग्रंथ है। यह छः दर्शनों में से एक शास्त्र है और योगशास्त्र का एक ग्रंथ है। योगसूत्रों की रचना ४०० ई॰ के पहले पतंजलि ने की। इसके लिए पहले से इस विषय में विद्यमान सामग्री का भी इसमें उपयोग किया।[1] योगसूत्र में चित्त को एकाग्र करके ईश्वर में लीन करने का विधान है। पतंजलि के अनुसार ‘चित्त की वृत्तियों को चंचल होने से रोकना (चित्तवृत्तिनिरोधः) ही योग है। अर्थात मन को इधर-उधर भटकने न देना, केवल एक ही वस्तु में स्थिर रखना ही योग है।
यह आत्मा और परमात्मा के योग या एकत्व के विषय में है और उसको प्राप्त करने के नियमों व उपायों के विषय में। यह अष्टांग योग भी कहलाता है । पतंजलि ने इसकी व्याख्या की है। ये आठ अंग हैं- यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि |
महर्षि पतंजलि ने योग को 'चित्त की वृत्तियों के निरोध' के रूप में परिभाषित किया है। योगसूत्र में उन्होंने पूर्ण कल्याण तथा शारीरिक, मानसिक और आत्मिक शुद्धि के लिए आठ अंगों वाले योग का एक मार्ग विस्तार से बताया है। अष्टांग, आठ अंगों वाले, योग को आठ अलग-अलग चरणों वाला मार्ग नहीं समझना चाहिए; यह आठ आयामों वाला मार्ग है जिसमें आठों आयामों का अभ्यास एक साथ किया जाता है। योग के ये आठ अंग हैं:
१. यम: पांच सामाजिक नैतिकता

(क) अहिंसा - शब्दों से, विचारों से और कर्मों से किसी को हानि नहीं पहुँचाना ।
(ख) सत्य - विचारों में सत्यता, परम-सत्य में स्थित रहना ।
(ग) अस्तेय - चोर-प्रवृति का न होना ।
(घ) ब्रह्मचर्य - दो अर्थ हैं:
* चेतना को ब्रह्म के ज्ञान में स्थिर करना ।
* सभी इन्द्रिय-जनित सुखों में संयम बरतना ।
(च) अपरिग्रह - आवश्यकता से अधिक संचय नहीं करना और दूसरों की वस्तुओं की इच्छा नहीं करना ।
२. नियम: पाँच व्यक्तिगत नैतिकता
(क) शौच - शरीर और मन की शुद्धि ।
(ख) संतोष - हमेशा संतुष्ट और प्रसन्न रहना ।
(ग) तप - स्वयं से अनुशासित रहना ।
(घ) स्वाध्याय - आत्मचिंतन करना और अच्छे साहित्य का लगातार अध्ययन करना ।
(च) ईश्वर-प्रणिधान - ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण, पूर्ण श्रद्धा ।

Friday, July 12, 2019

5 योगासन जो मनुष्य को शक्ति और ऊर्जावान बनाते है



5 योगासन जो मनुष्य को शक्ति और ऊर्जावान बनाते है
1. बालक आसन: इस आसन को - से मिनिट तक करे. वज्रासन में बैठते हुए आगे की तरफ झुके और माथा जमीन से लगाए. इस आसन को करने से अनेक लाभ मिलते है शरीर मजबूत बनता है, ब्रेन पावर, याददास्त बढ़ती है और तनाव रहित होकर मन शांति का अनुभव करता है.  अंत में शवासन करे
                                  
ये सभी आसन मनुष्य को मानसिक बीमारी एवं कमजोरी, थकावट, चिड़चिड़ापन से निजात दिलाते है साथ ही याददास्त में भी सुदृण होती है ये आसन दिनभर की थकान को दूरकर शरीर में स्फूर्ति और ताजगी भर देते है जो लोग कमजोरी या थकान से परेशान रहते है उनको ये आसन नित्य करना चाहिए.

2. अधोमुख स्वान आसन : इस आसन का अभ्यास से मिनिट तक करे: पर्वत आसन की मुद्रा में आते हुए गर्दन को दोनों कंधो के बीच में रखे और दोनों एड़ी को जमीन से स्पर्श कराये
  • इस आसन को करने से आपके शरीर में स्फूर्ति का संचार होता है और आप ज्यादा ऊर्जावान हो जाते है साथ ही मानसिक तनाव कम होता है और चेहरा तेजोमय बन जाता है
  •  यह आसन करने से पहले अपने पैर की मांसपेसियो और हाथों को अच्छी तरह से तैयार कर लें।
  • अधोमुख स्वान आसन करने से पहले धनुरासन या दण्डासन करें।
  • यह आसन सूर्य नमस्कार के एक अंश के रूप में भी किया जा सकता है। 

                        

3. तितली आसन : इस आसन को से मिनिट तक करे: तितली आसन में बैठकर माथा जमीन से स्पर्श करे और कमर सीधी रखे. इस आसन को करने से अनेक लाभ मिलते है प्रोस्टेट ग्लैंड ठीक रहता है और कमर भी सुद्रण बनती है और चेहरे में ताजगी आती है
4. पूर्ण या अर्ध नवासन: इस आसन को से मिनिट तक करे : इस आसन से प्रोस्टेट ग्लैंड नहीं बढ़ती और आपका मणिपूरक चक्र जाग्रत होता है.
5. सेतुबंध आसन: इस आसन को  - से मिनिट तक करे इस आसन को करने से अनेक लाभ मिलते है इस आसन में सीधे लेट जाये और दोनों पैरों को मुड़कर नितम्भ से लगाए और दोनों हाथो को पैरों की एड़ियों को पकडे और कमर को ऊपर उठाना है और ब्रीथिंग करना है. इस आसन को करने से कमर दर्द दूर होता है, फेफड़ो को मजबूत करता है और सम्पूर्ण शरीर को लाभ देता है.

अधिक जानकारी के लिए सम्पर्क करे : 
डॉ अनूप कुमार बाजपेयी
योगाचार्य
आयुष योग एंड वैलनेस सेंटर
अपोजिट किरण हॉस्पिटल, बादशाहपुर, गुडगाँव।
Mob: +91 8882916065 , 8368476461


Pranayaam for cool mind and body


Friday, July 5, 2019

योग एवं प्राणायाम से उच्य रक्तचाप को नियंत्रित कैसे करे : How to control hypertension through Pranayaam

डॉ योगी अनूप कुमार बाजपेयी
आयुष योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र
गुडगाँव, . 8882916065 email: yogawithanu@gmail.com


जैसा की आजकल सभी लोग तनाव और मानसिक परेशानियों से जूझ रहे है साथ ही गलत खानपान, नींद की कमी, अवसाद, काम की अधिकता और कम समय में अधिक संग्रह की होड़ से आज का युवा हाइपरटेंशन यानि उच्य रक्तचाप के प्रभाव में बहुत ही जल्दी रहे है : अतः उच्य रक्तचाप को योग एवं प्राणायाम के द्वारा कैसे नियंत्रित या ठीक करे आइये आज आपको कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण प्राणायाम के बारे में बताते है यदि आप इनका निरंतर कर प्रतिदिन अभ्यास करेंगे तो आप अवश्य ही इस गंभीर बीमारी को मात दे पाएंगे ।

योग पिछले कई दशकों से आधुनिक बिमारियों जैसे मानसिक तनाव, मोटापा, डायबिटीज, उच्य रक्तचाप, ह्रदय घात, गंभीर श्वशन रोग, दमा, अस्थमा एवं माइग्रेन आदि रोगों में चिकित्सीय उद्देश्य में अनुशंधान का प्रमुख विषय बना हुआ है अनेक शोध अध्ध्यनों से स्पस्ट है की योग के द्वारा प्राचीनकाल से ही अनेक तरह की रोगों एवं गंभीर बिमारियों को ठीक करने में सहायक है, साथ ही इसके अभूतपूर्व लाभ एवं प्रभाव देखने में आते है। वर्तमान में जितने भी शोध कार्य हो रहे है उनमे योगासन एवं प्राणायाम के माधयम अनेक रोंगो का इलाज सफलतापूर्वक किया जा रहा है। योग द्वारा इन रोगों को बिना किसी औषधि से ठीक कर रहे है  

योग, प्राणायाम, ध्यान आदि की निरंतर अभ्यास से अनेक रोगों से बचा जा सकता है। आजकल लोगों में आम धारणा यह है की योग के द्वारा सिर्फ बीमारियों को सही किया जाता है और जब आप रोगग्रस्त हो तो योग करे है जबकि योग इससे भी कही आगे है का विज्ञान है

योग एक आध्यत्मिक प्रक्रिया एवं विज्ञान है, जिसके द्वारा शरीर, मन (इन्द्रियों) और आत्मा को एक साथ लाने का कार्य ही योग है । इस प्रकार ‘योग शब्द का अर्थ हुआ- समाधि अर्थात् चित्त वृत्तियों का निरोध । महर्षि पतंजलि ने योगदर्शन में, जो परिभाषा दी है वो इस प्रकार है 'योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः', चित्त की वृत्तियों के निरोध का नाम योग है।

जैसे की आपको पता है अष्टांग योग के अनुसार इसके आठ अंग है, यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधी !

प्राणायाम:योग साधना के आठ अंग हैं, जिनमें प्राणायाम चौथा सोपान है। प्राणायाम के बाद प्रत्याहार, ध्यान, धारणा तथा समाधि मानसिक साधन हैं। प्राणायाम दोनों प्रकार की साधनाओं के बीच का साधन है, अर्थात्‌ यह शारीरिक भी है और मानसिक भी। प्राणायाम से शरीर और मन दोनों स्वस्थ एवं पवित्र हो जाते हैं तथा मन का निग्रह होता है।तस्मिन सति श्वासप्रश्वासयोर्गतिविच्छेद:प्राणायाम॥ श्वास प्रश्वास के गति को अलग करना प्राणायाम है। प्राण अर्थात् साँस आयाम याने दो साँसो मे दूरी बढ़ाना, श्‍वास और नि:श्‍वास की गति को नियंत्रण कर रोकने व निकालने की क्रिया को प्राणायाम  कहा जाता है। श्वास-लेने सम्बन्धी खास तकनीकों द्वारा प्राण पर नियंत्रण श्वास नियंत्रण और सांस लेने की तकनीक का अभ्यास जागरूकता के साथ करना, श्वास को धीमा और सूक्ष्म बनाना। साँस लेना और छोड़ने के बीच का ठहराव समाप्त हो जाता है। यह मन और एकाग्रता (dranrana) के नियंत्रण में मदद करता है।
कैसे शुरू करे :
प्रातःकाल नित्यकिरया से निमित्य होकर शांत मन से स्वच्य जगह में हल्का सूक्ष्म व्याम करे और फिर प्राणायाम का अभ्यास शुरू करे :
योग एवं प्राणायाम
. नाड़ीशोधन प्राणायाम                मिनट्स
 पद्मासन में बैठकर दाहिने हाथ से दाया नाशिका को बंद करे और बायीं नासिका से १० आवृति पूरक रेचक करे यानि श्वास को अंदर बाहर करे : फिर यही क्रम दाहिनी नासिका से दोहराये :
. शीतली/शीतकार प्राणायाम          मिनिट्स

पद्मासन में में ज्ञान मुद्रा में बैठे कमर गर्दन एकदम सीधा रखे और जिह्वा को नलिका नुमा बनाते हुए श्वास को अंदर खींचे और नासिका से धीरे धीरे बाहर निकाले : १० आवृति करे इसके पश्चात् जिह्वा को तालुमूल से लगाकर ऊपर निचे के दन्त पंक्ति को एकदम सटाकर ओंठों को खोलकर धीरे धीरे सी सी की आवाज करते हुए मुँह से श्वास लेकर फेफड़ों में भरे जीतनी देर आराम से रुक सके रुके फिर मुँह बंद करके नाक से धीरे धीरे श्वास बाहर निकले ! इस क्रिया का अभ्यास -१० बार करे !

. चंद्र भेदी प्राणायाम                     मिनट्स

बांया स्वर चंद्र नाड़ी और दाहिना स्वर सूर्य नाड़ी से जाना जाता है :
पद्मासन में बैठकर प्राणायाम मुद्रा बना ले और दाहिने नासिका को बंद करके बायीं नासिका से पूरक यानि श्वास को अंदर खींचे तत्पश्चात दाहिने नासिका से श्वास को रेचक करे/ बहार करे

. उद्गीत / ओम का उच्चारण          मिनट्स

सुखासन या पद्मासन में ज्ञानमुद्रा में दोनों हांथों को रखकर शांत मन से लम्बा गहरा श्वास भरे और ओम का उच्चारण करे और लगातार करते रहे पुरे शरीर को देखें और उद्गीत प्राणायाम करते रहें.

. भ्रामरी प्राणायाम                       मिनट्स
इस प्राणायाम में भवरे की गुंजन जैसी ध्वनि निकलती है इसलिए इसे "भ्रामरी प्राणायाम" कहते है किसी निर्धारित स्थान में बैठकर आँख बंद करके दोनों हांथो की तर्जनी से दोनों कान बंद कर ले, गहरी श्वास लेते हुए कुछ देर के लिए श्वास अंदर रोके फिर गले से भ्रमर की तरह आवाज निकलते हुए धीरे धीरे रेचक करे ! मुँह बंद करते हुए नाक से रेचक करना चाहिए !

प्राणायाम से होने वाले लाभ :
. ७२ हजार नाड़िया शुद्ध होती है रक्त में आक्सीजन बढ़ता है और ब्लड सर्कुलेशन ठीक होता है और ऊर्जा का संचार होता है, जो मन को स्वस्थ एवं प्रसन्न रखता है !
. इन प्राणायाम के नियमित अभ्यास से ह्रदय रोग, उच्च रक्तचाप, मानसिक तनाव में लाभ मिलता है
. इन प्राणयाम से गले सम्बंधित समस्त रोगों जैसे टॉंसिलिटिस आदि में लाभ होता है
. प्राणायाम के अभ्यास अनिद्रा की स्थति, मानसिक तनाव और उत्तेजना को दूर करता है !
. इन प्राणयाम से नाक, कान, और आँख के रोगों में लाभ मिलता है और स्वर को मधुर बनता है!
. इन प्राणयाम से उच्च रक्तचाप, वात, पित्त और कफ में आराम मिलता है :
. नाड़ी शोधन प्राणायाम से रक्त शुद्ध होता है और आक्सीजन का लेवल इनक्रीस होता है
.  भ्रस्तिका प्राणायाम से फेफड़ों की विषाक्त वायु को दूर कर, फेफड़े गले व् छाती के श्वास, दमा,     क्षय आदि  रोग दूर होते है
. प्राणायाम से मस्तिष्क के अग्रभाग का शोधन होता है जो मन की चंचलता को दूर करता है !
१०. प्राणायाम से चेहरे की त्वचा में प्राण के संचार को बढ़ाकर, मुहासे, झुर्रिया को दूर करता है
सावधानियां
प्राणयाम का अभ्यास धीरे धीरे करे कोई जल्दीबाजी से करे, मन को शांत चित करके ही प्राणायाम का प्रारम्भ करे तभी इसके अभूतपूर्व लाभ देखने को मिलेंगे !

अंत में मिनट्स के लिए ध्यान लगाए, जो आराम दायक मुद्रा हो जैसे पद्मासन, सुखासन, आदि में शांत बैठकर प्रभु का ध्यान करते हुए ध्यान लगाए और मन की आँखों को नाक में लगाए; और शांतचित होकर बैठे रहे और मानसिक जाप करते रहे की मै शारीरिक रूप से ठीक हो रहा हूँ और मेरे अंदर एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो रहा है और मै रोगमुक्त हो रहा हूँ दोस्तों यकीन मानिये आप अपने को हील कर सकते है यदि आप में पक्का इरादा है ; क्योकि मानव शरीर में खुद को हील करने की अद्भुद क्षमता है तो आप निश्चिंत रहे यदि आप नित्य ही अपने आप को सुझाव देंगे तो अवश्य ही आप रोगमुक्त एवं तनाव मुक्त हो जायेंगे ऐसा विश्वास रखें !
सुझाव
किसी योगाचार्य के निर्देशन में सीखे फिर अभ्यास का आरम्भ करे :
वर्तमान समय में अपनी व्यस्त जीवन शैली से आराम और संतोष पाने के लिए योग की तरफ रुख कर रहे है। क्योंकि योग केवल शारीरिक व्यायाम के साथ साथ आत्मिक सुख प्रदान करता है, इससे तनाव दूर होकर मन और मष्तिस्क को भी शांति मिलती है । योग न केवल हमारे मष्तिस्क को बल प्रदान करता है बल्कि हमारी आत्मा को शुद्ध कर खुद से परिचय करवाता है ।


समस्या बिना कारण नहीं आती, उनका आना आपके लिए इशारा है कि कुछ बदलाव

जीवन में समस्याएं आना आम है। लेकिन इनसे घबराने की बजाय, इनका सामना करने और अपनी ज़िंदगी को बेहतर बनाने के कई तरीके हैं। यहाँ कुछ सुझाव दिए ग...