Thursday, September 2, 2021

Yog and Pranayam for COVID Warriors

 

Yog and Pranayam for COVID Warriors

कोविड योद्धाओं के लिए योग एवं प्राणायाम

कोविद योद्धाओं के तनाव को कम करने के लिए योग एवं प्राणायाम

जैसा की आप सब जानते है कोविद महामारी से सम्पुर्ण विश्व परेशान है वही अब  तक लाखों लोगों ने अपनी जान गवा दी है। वही इस महामारी से लड़ने में हमारे स्वास्थकर्मी जैसे डॉक्टर, नर्स, लैब टेक्निशन, पैरामेडिकल स्टाफ, सफाई और सुरक्षा कर्मचारी अपनी जान की परवाह करते हुए, हम सब को इस महामारी से बचाने में दिन रात काम कर रहे है आज हम सब मिलकर इन योद्धाओं को धन्यबाद और अभिनन्दन करते ताकि ये सदैव स्वस्थ और दीर्घ आयु हो परन्तु ये लोग भी तो हम आप जैसे ही आम इंसान है लगातार काम और ड्यूटी अधिक करने के कारण ये लोग भी तनाव, अनिद्रा और अवसाद से ग्रस्त हो रहे है अतः ऐसे में हम सब का परम दायित्व बनता है की स्वास्थकर्मी स्वस्थ रहे तभी इस विश्व का कल्याण है

इस कामना के साथ आज मैं स्वास्थ एवं सभी सुरक्षा कर्मियों के लिए कुछ सूक्ष्म योगिक आसन और प्राणायाम बताने जा रहा हूँ जिनके माध्यम से सभी लोग तनाव रहित, खुशहाल और स्वस्थ जीवन जी सकते है तो आइये जानते है वो कौन-कौन से योगासन और प्राणायाम है जिनके द्वारा स्वस्थ जीवन की कल्पना की जा सकती है

योग पिछले कई दशकों से आधुनिक बिमारियों जैसे मानसिक तनाव, मोटापा, डायबिटीज, उच्य रक्तचाप, ह्रदय घात, गंभीर श्वशन रोग, दमा, अस्थमा एवं माइग्रेन आदि रोगों में चिकित्सीय उद्देश्य में अनुशंधान का प्रमुख विषय बना हुआ है । अनेक शोध अध्ध्यनों से स्पस्ट है की योग के द्वारा प्राचीनकाल से ही अनेक तरह की रोगों एवं गंभीर बिमारियों को ठीक करने में सहायक है, साथ ही इसके अभूतपूर्व लाभ एवं प्रभाव देखने में आते है। वर्तमान में जितने भी शोध कार्य हो रहे है उनमे योगासन एवं प्राणायाम के माधयम अनेक रोंगो का इलाज सफलतापूर्वक किया जा रहा है। योग द्वारा इन रोगों को बिना किसी औषधि से ठीक कर रहे है । योग, प्राणायाम, ध्यान आदि की निरंतर अभ्यास से अनेक रोगों से बचा जा सकता है। आजकल लोगों में आम धारणा यह है की योग के द्वारा सिर्फ बीमारियों को सही किया जाता है और जब आप रोगग्रस्त हो तो योग करे है जबकि योग इससे भी कही आगे है का विज्ञान है ।

योग एक आध्यत्मिक प्रक्रिया एवं विज्ञान है, जिसके द्वारा शरीर, मन (इन्द्रियों) और आत्मा को एक साथ लाने का कार्य ही योग है । इस प्रकार ‘योग शब्द का अर्थ हुआ- समाधि अर्थात् चित्त वृत्तियों का निरोध । महर्षि पतंजलि ने योगदर्शन में, जो परिभाषा दी है वो इस प्रकार है 'योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः', चित्त की वृत्तियों के निरोध का नाम योग है।

योग से कर्मो में कुशलता आती है और व्यक्ति दुःख सुख में समान भाव से जीवन यापन करता है

योग करने के लिए प्रातःकाल सबसे उत्तम समय है किन्तु जिन लोगों के पास सुबह करने का समय नहीं है वो शाम को भी कर सकते है किन्तु पेट खाली होना चाहिए और घंटे पहले खाना खाया हो तभी करे। अब योग करने के लिए सबसे पहले खुले आसमान के निचे करे और स्वस्छ वातावरण हो , और मन को शांत चित करके ही करे अन्यथा आपको वांछित लाभ नहीं मिलेगा।

थोड़ा सा व्यायाम करने के पश्चात् आप योगासन प्रारम्भ कर सकते है

खड़े होकर किये जाने वाले योगासन

१.      सूर्यनमस्कार : ये आसन

सम्पूर्ण शरीर के लिए बहुत ही लाभदायक है साथ ही पुरे शरीर की मररमत हो जाती है  मिनिट


२.      वृक्षासन : दोनों पैरों को मजबूती देता है और शरीर के संतुलन को बनाने में सहायक है

 

. ताड़ासन : ये आसन शरीर के सभी जॉइंट्स और नशों की मर्रम्मत करता है मिनिट

बैठ कर किये जाने वाले आसन

सबसे पहले पद्मासन या सुखासन में बैठ जाये और कमर, गर्दन को सीधा रखे अब लम्बी गहरी श्वास ले और छोड़े दस बार ये करे अपने चित्त और मन को शरीर पर लगाए और पूरा ध्यान अपनी सांसों को देखने में लगाए

१.      वज्रासन : ये आसन अनेक पेट सम्बन्धी रोगों में लाभप्रद है और सम्पूर्ण शरीर को मजबूत बनाता है से तीन मिनिट


२.      बालकसन : ये आसन तनाव, अनिद्रा, अवसाद और मेमोरी को ठीक करने में सहायक है मिनिट '

३.         

. पश्चिमोत्तान : ये आसन आपके कमर, मेरुदंड और पैरों को मजबूती देता है साथ ही मंद के लिए भी बहुत अच्छा आसन है  बार ।

पीठ के बल लेटकर किये जाने वाले योगासन

. मकरासन : पीठ, कमर दर्द, मेरुदंड और सर्वाइकल के लिए लाभदायक है : से मिनिट दोनों पैरों से करना है

. उत्तानपाद आसन : ये आसन, पेट के रोगों और मोटापा से लड़ने में मददगार है मिनिट


४.      शवासन : ये बहुत ही आरामदायक आसन है जब आपको थकान महसूस हो इस आसन को करे अनिद्रा की समस्या को दूर करने में सहायक है।


Pranayaama:

अब आसन के पश्चात् आप प्राणायाम की तरफ चलेंगे प्राणायाम करने के लिए शांत चित होकर बैठे और मन, चित और शरीर को एक साथ रखते हुए आंखे बंद करके अभ्यास प्रारम्भ करे

प्राण अर्थात् साँस आयाम याने दो साँसो मे दूरी बढ़ाना, श्‍वास और नि:श्‍वास की गति को नियंत्रण कर रोकने व निकालने की क्रिया को प्राणायाम  कहा जाता है। श्वास-लेने सम्बन्धी खास तकनीकों द्वारा प्राण पर नियंत्रण श्वास नियंत्रण और सांस लेने की तकनीक का अभ्यास जागरूकता के साथ करना, श्वास को धीमा और सूक्ष्म बनाना। साँस लेना और छोड़ने के बीच का ठहराव समाप्त हो जाता है। यह मन और एकाग्रता (dranrana) के नियंत्रण में मदद करता है।

. कपालभाति प्राणायाम : ये प्राणायाम बहुत ही लाभदायक है धीरे धीरे करे और थकान होने पर रुक जाये मिनिट

. अनुलोम विलोम : ये प्राणायाम आपके अंदर ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ाकर शरीर को स्वस्थ होता है ।३ मिनिट

3. नाड़ी शोधन : ये प्राणायाम आपके फेफड़ों को मजबूत करता है और रेस्पिरेटरी सिस्टम को ठीक करता है मिनिट।

4. का जाप : मंत्र जाप के अनेकों लाभ है और मेमोरी को तेज करने में सहायक है : बार

5 भ्रामरी प्राणायाम : ये दिमाक को ठीक करता है और मेमोरी को तेज करता है , तनाव और अनिद्रा को कम करने में सहायक है

ये सभी प्राणायाम है जो मन, चित्त और शरीर को स्वस्थ रखने में सहायक है साथ ही प्राणायाम से आपके अंदर ऑक्सीजन का स्तर बढ़कर शरीर में स्फूर्ति लाने का कार्य करता है

योगासन एवं प्राणायाम के लाभ

·                     शरीर की सभी महत्वपूर्ण ग्रंथियों, जैसे पिट्यूटरी, थायरॉइड, पैराथायरॉइड, एड्रिनल, लीवर, पैंक्रियाज, ओवरी आदि ग्रंथियों के स्रव को संतुलित करने में मदद करता है। 

·                     शरीर के सभी संस्थान, रक्त संचरण, श्वास, पाचन, उत्सर्जन, नाड़ी तथा ग्रंथियों को क्रियाशील एवं सशक्त करता है।

·                     पाचन सम्बन्धी समस्याओं, अपच, कब्ज, बदहजमी, गैस, अफारे तथा भूख लगने जैसी समस्याओं के समाधान में बहुत ही उपयोगी भूमिका निभाता है।

·                     वात, पित्त तथा कफ को संतुलित करने में मदद करता है। त्रिदोष निवारण में मदद करता है।

·                     इसके अभ्यास से रक्त संचालन तीव्र होता है तथा चयापचय की गति बढ़ जाती है, जिससे शरीर के सभी अंग सशक्त तथा क्रियाशील होते हैं।

·                     इसके नियमित अभ्यास से मोटापे को दूर किया जा सकता है और इससे दूर रहा भी जा सकता है।

·                     इसका नियमित अभ्यास करने वाले व्यक्ति को हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, निम्न रक्तचाप, मधुमेह, गठिया, कब्ज जैसी समस्याओं के होने की आशंका बेहद कम हो जाती है।

·                     मानसिक तनाव, अवसाद, एंग्जायटी आदि के निदान के साथ क्रोध, चिड़चिड़ापन तथा भय का भी निवारण करता है।

·                     रीढ़ की सभी वर्टिब्रा को लचीला, स्वस्थ एवं पुष्ट करता है।

·                     पैरों एवं भुजाओं की मांसपेशियों को सशक्त करता है। सीने को विकसित करता है।

·                     शरीर की अतिरिक्त चर्बी को घटाता है।

·                     स्मरणशक्ति तथा आत्मशक्ति में वृद्धि करता है।


19 अग॰ 2020 — CORONA Warriors Stories ... Fight COVID 19 WITH YOGA AND MEDITATION ... KUMAR CHWARYA I AWARE PEOPLE FOR COVID THROUGH YOGA AND MEDITATION.
योग और ध्यानरोग से लड़ने की क्षमता बढ़ाएं ... नये कोरोनावायरस (COVID-19) की महामारी जो पूरी ...
21 जून 2021 — He recalled how frontline Corona warriors made Yoga their shield and made ... A US-based NGO, the American Academy for Yoga and Meditation ...
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Immunity Enhancement Program with Meditation, Breath & Yoga. Stay strong. Stay safe. A free 3-day program to help you strengthen your immunity. Register. For ...
They were our healthcare workers, our Covid-19 warriors. When they saved lives amidst fear and stress, The Art of Living brought them some relief.
meals distributed to over daily-wage dependant families global connections for meditation.
12 मई 2020 · Gurudev Sri Sri Ravi Shankar ने अपलोड किया
SA Zope ने लिखी20211 में हवाला दिया गया — ... has provided solace to millions of people including frontline COVID warriors worldwide through its Online Breath and Meditation program.
1 जून 2020 — Coordinator Manoj Rao said, “Corona warriors have and are still playing the ... yoga, pranayama, meditation and Sudarshan Kriya,” Rao said.
Trying to Relieve Stress During Covid-19? Practicing Heartfulness Meditation Will Relieve Stress, Anxiety & Regulate Your Thoughts to Find Inner Stillness.

16 मार्च 2020 — Harvard medical school recommends yoga meditation to deal with corona virus discomfort 3971418 - मनोरोग चिकित्सक जॉन ...

 

Fight COVID 19 WITH YOGA AND MEDITATION - Self4Society

योगी डॉ अनूप कुमार बाजपाई

आयुष योग एवं वैलनेस क्लिनिक, गुडगाँव

मोब: 8882916065


sponsor kids for Yog and mental well being ..

Dear Friends, 

Namaste to all my friends those reading my blog in the world..i am teaching and promoting yoga and meditation for school going childrens more than a decade.. i need your help to open a yoga and meditation school for villege kids.. I hope you can understand my view on yoga..kindly sponcer a single girl child or kids for yoga and well being.. i am sure i will do only for society...and future generation. 

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Thanks 

Dr Anoop Kumar Bajpai

Gurgaon Haryana, near Delhi

yogawithanu@gmail.com

India.













 

योगनिद्रा (Yoga Nidra ) क्या है और इसको करने की विधि ?

Yogi Dr Anoop Kumar Bajpai

Yog and Wellness clinic 

Gurgaon, Haryana  

Contat No. 8882916065 

योगनिद्रा क्या है और इसको करने की विधि


योग साधना में उच्चतर सोपान की क्रियायों प्रत्याहार, धारणा, ध्यान आदि के लिये भूमिका तैयार करने में योग निद्रा एक महत्पूर्ण क्रिया है चूँकि योग निद्रा में साधक की चित्त की वृतियां कुछ क्षण के लिये अंतर्मुखी होती है इसलिए इसे प्रत्याहार की ही एक महत्पूर्ण क्रिया कह सकते है

योग-निद्रा एक प्रकार से आध्यात्मिक निद्रा है जो शरीर को केवल बाह्य रूप से अपितु आंतरिक रूप से भी आराम पहुँचाती है इससे शरीर प्रसन्न एवं प्रफुल्लित बना रहता है योग -निद्रा की स्थिति में साधक पूर्ण रूप से जाग्रत स्थिति में रहता है और ही पूर्ण सुषुप्ति की अवस्था में  

इसके अभ्यास में बाह्य जगत से सम्बंद विच्छेद होकर आंतरिक अनुभूति होकर अन्तः जगत से अवचेचन तथा अचेतन सम्बन्ध जोड़ने लगता है जो शरीर एवं मन को तनाव रहित बनाता है  

यह क्रिया शारीरिक तनाव को दूर ही करता है साथ ही मानसिक, प्राणिक, भावनात्मक तनावों को भी दूर करने में सहयोगी है थकावट, निष्क्रियता आदि में इस क्रिया का अभ्यास शरीर में नयी स्फूर्ति एवं ताजगी का संचार करता है  

नींद ठीक से आएगी शरीर में अनावश्यक भारीपन  या व्यग्रता नहीं रहता है  यह शरीर की पाचन क्रिया को तो सामान्य बनाने में तो सहायक है ही प्राण एवं रक्त संचार को भी व्यवस्थित, सहज एवं समरूपता प्रदान कर ह्रदय रोग, रक्तचाप आदि में लाभ पहुंचाती है सामान्य रूप से योगनिद्रा का अभ्यास निम्नलिखित विधि से किया जा सकता है

विधि - सर्वप्रथम शवासन की स्थिति में लेटकर दोनों पैरों के बीच लगभक एक फ़ीट की दूरी रखकर दोनों हांथों को कमर के बगल में रखकर हथेलियों को ऊपर की ओर खुला रखें आँखें बंद करके श्वास सहज एवं सामान्य रखें श्वास सहज एवं सामान्य होने पर मन स्वतः सहज एवं सामान्य स्थिति में हो जायेगा   

अब मन से शरीर के विभिन्न अंगों की क्रमिक रूप से स्पस्ट  एवं जीवन्त कल्पना करे शरीर के प्रत्येक अंग को रंग, रूप, बनावट आदि को पूरी सजगता, स्पस्टता ओर जीवंतता के साथ सतत रूप से साक्षी भाव से देखें परन्तु यह आपका प्रयास मन की आँखों से करे ओर निद्रा में जाय। 

योग - निद्रा का इसी प्रकार अभ्यास किसी प्रिय वस्तु, देव प्रतिमा अथवा किसी प्राकृतिक दृश्य आदि पर किया जा सकता है शरीर पर योग निद्रा का अभ्यास करने के लिये शरीर के प्रत्येक अंग के रूप, वनावट पर क्रमशः अन्तश्चक्षु से कल्पना करते हुए इसे देखें  

सर्वप्रथम दायें पैर को लें, पुरे पैर की मन से कल्पना करते हुए उसकी बनावट आदि की कल्पना करें अब पैर के एक-एक भाग की कल्पना करें दायें पैर का अंगूठा, अंगूठे के बगल की अंगुली, दूसरी, तीसरी अंगुली चौथी अंगुली, पंजा, टखना, घुटना, जांघ, दाया पैर, पूरा दाया पैर जमीन से स्पर्श कर रहा है इसी प्रकार बायें पैर का अंगूठा, अंगूठे के बगल की अंगुली , दूसरी, तीसरी और चौथी अंगुली, बाये पैर का पंजा, टखना, घटना, जांघ, दायें पैर का टखना आदि बायां पैर जमीन से स्पर्श कर रहा है,

  बायां पैर की जमीन से स्पर्श रेखा, कमर, पेट, छाती, पीठ, गर्दन, दायां कान, बायां कान, दायी आँख की ऊपरी पलक निचली पलक दोनों पलकों की स्पर्श रेखा बांयीं आंख की ऊपरी पलक, निचली पलक दोनों पलकों की स्पर्श रेखा, दायी नाक, बायीं नाक, दायां बायां गला, बायां गाल, दायां गाल, ऊपर के ओष्ट, निचे के ओष्ट दोनों ओष्ठों की स्पर्श-रेखा, ठुड्डी, अपना पूरा चेहरा, दांया हाथ, दायें हाथ का अंगूठा, तर्जनी अंगुली, मध्यमा, अनामिका, कनिष्ठा हथेली, कोहनी, कंधा, दायां हाथ जमीन पर स्पर्श कर रहा है 

दांया हाथ जमीन पर स्पर्श कर रहा है ।दांया हाथ, बायां हाथ का अंगूठा, तर्जनी, मध्यमा, अनामिका, कनिष्ठा, हथेली, कलाई, कोहनी, कंधा, पूरा बांया हाथ तथा जमीन की स्पर्श रेखा पूरा शरीर जो शव के समान पड़ा है उस की सतत कल्पना, श्वास-प्रश्वास की स्वाभाविक सहज स्थिति का मनन करें

योग निद्रा पूर्ण होने पर पुरे शरीर को तनाव दे या ताड़ासन करें, पूरी क्रिया पूर्ण होने पर आँखें धीरे -धीरे से खोले पूरी क्रिया में जो आंतरिक शान्ति और आनंद की प्राप्ति हुई उसकी अनुभूति करें इसका अभ्यास समयानुसार किया जा सकता है

इस प्रकार योग-निद्रा का अभ्यास शवासन में लेटकर किसी देव-प्रतिमा अथवा प्राकृतिक दृश्य पर भी किया जा सकता है


References 

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