Saturday, March 21, 2015

साइलेंट किलर है उच्च रक्तचाप का रोग (Hypertension is a silent killer disease)

सुप्त पवन मुक्तासन के लिए चित्र परिणाम



उच्च रक्तचाप को अगर आधुनिकता का अभिशाप कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। इस तथाकथित प्रगतिशील युग ने जहां अनेक सुख-सुविधाओं के साधन जुटाए हैं, वहीं मानसिक अप्रसन्नता, चिंता, शोक, क्रोध आदि की स्थितियां भी पैदा की हैं, जिनसे मस्तिष्क, हृदय, आत्मा, ज्ञानेन्द्रियां और कर्मेंद्रियां प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकती हैं। हमारे शरीर में रक्त वाहिनी धमनियों में जो रक्त दौड़ता है उसको दौड़ने की गति हृदय से मिलती है, जो दिन-रात पम्पिंग मशीन की तरह कार्य करते हुए रक्त को पम्प करता रहता है। इसे दिल की धड़कना कहते हैं। हृदय के दबाव से रक्त धमनियों में पहुंचता है और सारे शरीर में भ्रमण करते हुए वापस हृदय के पास लौट आता है। हृदय रक्त को शुद्ध करके वापस शरीर में भ्रमण के लिए धमनियों में भेज देता है। रक्त पर हृदय की पम्पिंग का जो दबाव पड़ता है इसे रक्तचाप कहते हैं। इस प्रकार ब्लड प्रेशर होना स्वाभाविक प्रक्रिया है।
कोई रोग नहीं है पर जब कुछ कारणों से यह दबाव बढ़ता है तो इसे उच्च रक्तचाप कहते हैं और यदि दबाव कम होता है तो इसे निम्न रक्तचाप कहते हैं। उच्च रक्तचाप आरामतलब वर्ग का रोग है। जैसे बुद्धिजीवी, वकील, लेखक, अधिक धन-धान्य से संपन्न व्यक्ति एवं चिंतनशील वैज्ञानिक आदि। एलोपैथिक औषधियों का अंधाधुंध प्रयोग भी इस रोग का कारण है। गांवों की अपेक्षा यह रोग शहरों में अधिक पाया जाता है। यह रोग मनुष्य के शरीर में चोर दरवाजे से प्रविष्ट होता है। जिसका प्रारंभ में मनुष्य को नहीं पता चलता है, और यह शरीर में अच्छी तरह अपना स्थान बना लेता है। इसीलिए इस रोग को साइलेंट किलर के नाम से जाना जाता है।

शीतली प्राणायाम
प्राणायाम (आक्सीजन) के बिना जीवन संभव नहीं है। शीतली प्राणायाम से तन-मन शीतल होता है इसलिए इसे शीतली प्राणायाम कहते हैं।

विधि- पद्मासन या सुखासन की मुद्रा में बैठ जाएं। दोनों हाथों को घुटनों पर ज्ञान मुद्रा में रखें। आंखें बंद करके मन-मस्तिष्क को शांत करें। जीभ के दोनों किनारों को ऊपर की ओर मोड़कर गोल नली के समान बना लें और फिर श्वास को अपने मुंह से लें। जब तक आप श्वास रोक सकते हैं यथासंभव रोकें और उसके बाद दोनों नाकों के छिद्र से श्वास बाहर निकाल दें। यह एक चक्र खत्म हुआ, इसी प्रकार इस क्रिया को नए साधकों को कम से कम 10 बार करना चाहिए।
लाभ- यह प्राणायाम उच्च रक्तचाप, मन को शांत एवं क्रोध को शांत करने में बहुत ही लाभप्रद है। इसे करने से पित्त, कब्ज, पेट के रोग, चर्म रोग, पेट की गर्मी, गले के रोग भी ठीक हो जाते हैं।
विशेष- कफ प्रकृति के व्यक्ति के लिए इस प्राणायाम का अभ्यास नहीं करना चाहिए। दमा और टांसिल के रोगियों को इस प्राणायाम का अभ्यास कुशल योग शिक्षक के नेतृत्व में करना चाहिए।

सुप्त पवन मुक्तासन
पवन का अर्थ होता है वायु यानी जिस आसन के करने से पवन शरीर से मुक्त होती है वह कहलाता है सुप्त पवन मुक्तासन। पीठ के बल लेट जाएं, पैरों को फैला लें। उसके बाद अपना दाहिना घुटना मोड़कर सिर की तरफ ले आएं। अब घुटने को नाक से स्पर्श कराते हुए अपने सिर को उठा लें। जांघ से पेट को दबाने का प्रयास करें हाथ-पैर या तो जमीन पर रहे या फिर जमीन से थोड़ा उठ जाए। कुछ देर इस अवस्था में रुकें और फिर धीरे-धीरे जमीन पर आ जाएं। इसी प्रकार से यह क्रिया दूसरे पैर से भी करें। इस अभ्यास को दोनों पैरों से ५-५ बार अवश्य करें। 
लाभ- कब्ज, गैस, आलस्य, रक्त विकार आदि रोगों में यह संजीवनी बूटी है। पुराना गठिया और कमर दर्द इसके अभ्यास से दूर होता है। यह आसन मेरुदण्ड तथा ग्रीवा को मजबूत करता है और हाई ब्लड प्रेशर को कम करता है। 

विशेष- स्लिपडिस्क, हाई ब्लड प्रेशर के पुराने मरीज, हृदय रोगी और साइटिका के रोगी योग शिक्षक की देख-रेख में करें। 

योग अपनाएं, पाचन शक्ति बेहतर बनाएं

सही समय पर खाना ना खाना, जरुरत से ज्यादा खाना, खाने की अवस्थ आदतें और स्ट्रेस- ये कुछ ऐसी वजहें हैं जो हमारी पाचन शक्ति को बुरी तरह से प्रभावित करती हैं। लिहाजा जब हमारा पाचन तंत्र बिगड़ जाता है तो उसे ठीक करने के लिए या तो हम खाना बंद करते हैं या फिर गोलियां खाना शुरू कर देते हैं। इन सबसे कुछ समय के लिए तो राहत मिल सकती है लेकिन ये स्थायी हल नहीं है। जब शरीर को दोबारा पूरी तरह से सही करने की बात हो तो योग से बेहतर और कुछ नहीं हो सकता। आगे की स्लाइड्स पर क्लिक करें और जानें योग के किन आसनों से पाचन शक्ति को स्वभाविक रूप से बेहतर बनाया जा सकता है-
Photo - योग अपनाएं, पाचन शक्ति बेहतर बनाएं











उस्तरासन या कैमल पोज़- इस आसन में हमारी पीठ स्ट्रेच होती है, सिर थोड़ा झुका हुआ रहता है और पेट उठा हुआ रहता है, इसलिए इस आसन की मदद से पेट और पीठ के निचले हिस्से का परिमार्जन होता है। इस आसन से पाचन शक्ति में सुधार होता है। (Ustrasn or stretch our backs in this posture is Pojh- Camel , is slightly tilted head and abdomen is raised , so with the help of this posture is to scour the stomach and lower back . This posture improves digestion.)
Photo - योग अपनाएं, पाचन शक्ति बेहतर बनाएं



पवनमुक्तासन- इस आसन में दबाव पेट की ओर पड़ने से रक्त का संचार हृदय व फेफड़ों की ओर बढ़ जाता है। इससे हृदय को बल मिलता है और फेफड़ों की सक्रियता बढ़ती है। यह आसन पेट को ठीक रखता है व गैस नहीं बनने देता। जिससे पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है।
Photo - योग अपनाएं, पाचन शक्ति बेहतर बनाएं



धनुरासन : इस आसन में उल्टा लेटकर व अपने दोनों पैरों को मोड़कर हाथ से पकड़ें और नीचे व ऊपर से खुद को स्ट्रेच करें। इसी अवस्था में 30-60 सेकंड तक रुकें और नीचे आ जाएं व दोहराएं। इस आसन से पेट की मांसपेशियों में खिंचाव आता जिससे कब्ज की समस्या दूर होती है।



नौकासन- इस आसन में पूरे शरीर का भार पेट पर आ जाता है। बाकी शरीर आगे-पीछे से ऊपर उठ जाता है, जिससे पेट की मांसपेशियों की ताकत बढ़ती है व पाचन संस्थान स्वस्थ व बलिष्ठ हो जाता है।
Photo - योग अपनाएं, पाचन शक्ति बेहतर बनाएं



सेतुबंधासन- इस आसन से जांघ व घुटनों को बल मिलता है, कोर मसल्स बलिष्ठ होने लगते हैं। आमाशय, आंतें, किडनी, लिवर, स्प्लीन, पेन्क्रियास आदि पेट के समस्त अंगों पर इसका अनुकूल प्रभाव पड़ता है और पाचन तंत्र स्वस्थ बना रहता है।
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Wednesday, March 11, 2015

सूर्यनमस्कार का महत्त्व, विधि और मंत्र

सूर्यनमस्कार का महत्त्व, विधि और मंत्र

आदित्यस्य नमस्कारं ये कुर्वन्ति दिने दिने।
जन्मान्तरसहस्रेषु दारिद्र्यं नोपजायते ।।  
अर्थ : जो लोग सूर्यको प्रतिदिन नमस्कार करते हैं, उन्हें सहस्रों जन्म दरिद्रता प्राप्त नहीं होती।
सूर्य-नमस्कार को सर्वांग व्‍यायाम भी कहा जाता है, समस्त यौगिक क्रियाऒं की भाँति सूर्य-नमस्कार के लिये भी प्रातः काल सूर्योदय का समय सर्वोत्तम माना गया है। सूर्यनमस्कार सदैव खुली हवादार जगह पर कम्बल का आसन बिछा खाली पेट अभ्यास करना चाहिये।इससे मन शान्त और प्रसन्न हो तो ही योग का सम्पूर्ण प्रभाव मिलता है।


सूर्यनमस्कार क्यों करें ?

प्राचीनकाल में हमारे ऋषि मुनियों ने मंत्र और व्यायाम सहित एक ऐसी आसन् प्रणाली विकसित की, जिसमें सूर्योपासना का भी समावेश है। इसे सूर्यनमस्कार कहते हैं। इसके नियमित अभ्यास से शारीरिक और मानसिक स्फूर्ति की वृद्धि के साथ विचारशक्ति और स्मरणशक्ति भी तीव्र होती है। पश्चिमी वैज्ञानिक गार्डनर रोनी ने कहा हैः ʹसूर्य श्रेष्ठ औषधि है। सूर्य की किरणों के प्रभाव से सर्दी, खाँसी, न्यूमोनिया और कोढ़ जैसे रोग भी दूर हो जाते हैं।ʹ डॉ. सोले कहते हैं- ʹसूर्य में जितनी रोगनाशक शक्ति है, उतनी संसार की किसी अन्य चीज में नहीं है।ʹ
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प्रथम स्थिति- स्थितप्रार्थनासन
सूर्य-नमस्कार की प्रथम स्थिति स्थितप्रार्थनासन की है। सावधान की मुद्रा में खडे हो जायें। अब दोनों हथेलियों को परस्पर जोडकर प्रणाम की मुद्रा में हृदय पर रख लें।दोनों हाथों की अँगुलियाँ परस्पर सटी हों और अँगूठा छाती से चिपका हुआ हो। इस स्थिति में आपकी केहुनियाँ सामने की ऒर बाहर निकल आएँगी। अब आँखें बन्द कर दोनों हथेलियों का पारस्परिक दबाव बढाएँ । श्वास-प्रक्रिया निर्बाध चलने दें।
द्वितीय स्थिति - हस्तोत्तानासन या अर्द्धचन्द्रासन
प्रथम स्थिति में जुडी हुई हथेलियों को खोलते हुए ऊपर की ऒर तानें तथा साँस भरते हुए कमर को पीछे की ऒर मोडें।गर्दन तथा रीढ की हड्डियों पर पडने वाले तनाव को महसूस करें। अपनी क्षमता के अनुसार ही पीछे झुकें और यथासाध्य ही कुम्भक करते हुए झुके रहें।
तृतीय स्थिति - हस्तपादासन या पादहस्तास
दूसरी स्थिति से सीधे होते हुए रेचक (निःश्वास) करें तथा उसी प्रवाह में सामने की ऒर झुकते चले जाएँ । दोनों हथेलियों को दोनों पँजों के पास जमीन पर जमा दें। घुटने सीधे रखें तथा मस्तक को घुटनों से चिपका दें यथाशक्ति बाह्य-कुम्भक करें। नव प्रशिक्षु धीरे-धीरे इस अभ्यास को करें और प्रारम्भ में केवल हथेलियों को जमीन से स्पर्श कराने की ही कोशिश करें।
चतुर्थ स्थिति- एकपादप्रसारणासन
तीसरी स्थिति से भूमि पर दोनों हथेलियाँ जमाये हुए अपना दायाँ पाँव पीछे की ऒर फेंके। इस प्रयास में आपका बायाँ पाँव आपकी छाती केनीचे घुटनों से मुड जाएगा, जिसे अपनी छाती से दबाते हुए गर्दनपीछे की ऒर मोडकर ऊपर आसमान कीऒर देखें। दायाँ घुटना जमीन पर सटा हुआ तथा पँजा अँगुलियों पर खडा होगा। ध्यान रखें, हथेलियाँ जमीन से उठने न पायें।श्वास-प्रक्रिया सामान्य रूप से चलती रहे।
पंचम स्थिति- भूधरासन या दण्डासन
एकपादप्रसारणासन की दशा से अपने बाएँ पैर को भी पीछे ले जाएँ और दाएँ पैर के साथ मिला लें । हाथों को कन्धोंतक सीधा रखें । इस स्थिति में आपका शरीर भूमि पर त्रिभुज बनाता है , जिसमें आपके हाथ लम्बवत् और शरीर कर्णवत् होते हैं। पूरा भार हथेलियों और पँजों पर होता है। श्वास-प्रक्रिया सामान्य रहनी चाहिये अथवा केहुनियों को मोडकर पूरे शरीर को भूमि पर समानान्तर रखना चाहिये। यह दण्डासन है।
षष्ठ स्थिति - साष्टाङ्ग प्रणिपात
पंचम अवस्था यानि भूधरासन से साँस छोडते हुए अपने शरीर को शनैःशनैः नीचे झुकायें। कोहुनियाँ मुडकर बगलों में चिपक जानी चाहिये। दोनों पँजे, घुटने, छाती, हथेलियाँ तथा ठोढी जमीन पर एवं कमर तथा नितम्ब उपर उठा होना चाहिये । इस समय 'ॐ पूष्णे नमः ' इस मन्त्र का जप करना चाहिये । कुछ योगी मस्तक को भी भूमि पर टिका देने को कहते हैं।
सप्तम स्थिति - सर्पासन या भुजङ्गासन
छठी स्थिति में थॊडा सा परिवर्तन करते हुए नाभि से नीचे के भाग को भूमि पर लिटा कर तान दें। अब हाथों को सीधा करते हुए नाभि से उपरी हिस्से को ऊपर उठाएँ। श्वास भरते हुए सामने देखें या गरदन पीछे मोडकर ऊपर आसमान की ऒर देखने की चेष्टा करें । ध्यान रखें, आपके हाथ पूरी तरह सीधे हों या यदि केहुनी से मुडे हों तो केहुनियाँ आपकी बगलों से चिपकी हों।
अष्टम स्थिति- पर्वतासन
सप्तम स्थिति से अपनी कमर और पीठ को ऊपर उठाएँ, दोनों पँजों और हथेलियों पर पूरा वजन डालकर नितम्बों को पर्वतशृङ्ग की भाँति ऊपर उठा दें तथा गरदन को नीचे झुकाते हुए अपनी नाभि को देखें।
नवम स्थिति - एकपादप्रसारणासन (चतुर्थ स्थिति)
आठवीं स्थिति से निकलते हुए अपना दायाँ पैर दोनों हाथों के बीच दाहिनी हथेली के पास लाकर जमा दें। कमर को नीचे दबाते हुए गरदन पीछे की ऒर मोडकर आसमान की ऒर देखें । बायाँ घुटना जमीन पर टिका होगा।
दशम स्थिति – हस्तपादासन
नवम स्थिति के बाद अपने बाएँ पैर को भी आगे दाहिने पैर के पास ले आएँ । हथेलियाँ जमीन पर टिकी रहने दें । साँस बाहर निकालकर अपने मस्तक को घुटनों से सटा दें । ध्यान रखें, घुटने मुडें नहीं, भले ही आपका मस्तक उन्हें स्पर्श न करता हो।
एकादश स्थिति - ( हस्तोत्तानासन या अर्धचन्द्रासन )
दशम स्थिति से श्वास भरते हुए सीधे खडे हों। दोनों हाथों की खुली हथेलियों को सिर के ऊपर ले जाते हुए पीछे की ऒर तान दें । यथासम्भव कमर को भी पीछे की ऒर मोडें
द्वादश स्थिति -स्थित प्रार्थनासन ( प्रथम स्थिति )
ग्यारहवीं स्थिति से हाथों को आगे लाते हुए सीधे हो जाएँ । दोनों हाथों को नमस्कार की मुद्रा में वक्षःस्थल पर जोड लें । सभी उँगलियाँ परस्पर जुडी हुईं तथा अँगूठा छाती से सटा हुआ । कोहुनियों को बाहर की तरफ निकालते हुए दोनों हथेलियों पर पारस्परिक दबाव दें
surya-namaskar-small सूर्य नमस्कार मंत्र, सूर्य नमस्कार करने की विधि, सूर्यनमस्कार, सुर्य नमस्कार मंत्र, सूर्य नमस्कार के फायदेसूर्य नमस्कार मंत्र, सूर्य नमस्कार करने की विधि, सूर्यनमस्कार, सुर्य नमस्कार मंत्र, सूर्य नमस्कार के फायदे
सूर्य नमस्‍कार तेरह बार करना चाहिये और प्रत्‍येक बार सूर्य मंत्रो के उच्‍चारण से विशेष लाभ होता है, वे सूर्य मंत्र निम्‍न है-
  1. ॐ मित्राय नमः,  
  2. ॐ रवये नमः,  
  3. ॐ सूर्याय नमः,
  4.  ॐ भानवे नमः,
  5. .ॐ खगाय नमः,. 
  6.  ॐ पूष्णे नमः,  
  7. ॐ हिरण्यगर्भाय नमः,  
  8. ॐ मरीचये नमः,
  9.  ॐ आदित्याय नमः, 
  10. ॐ सवित्रे नमः, 
  11. ॐ अर्काय नमः, 
  12. ॐ भास्कराय नमः, 
  13. ॐ सवितृ सूर्यनारायणाय नमः
सूर्यनमस्कार के लाभ
  • सभी महत्त्वपूर्ण अवयवों में रक्तसंचार बढता है।
  • सूर्य नमस्का‍र से विटामिन-डी मिलता है जिससे हड्डियां मजबूत होती हैं।
  • आँखों की रोशनी बढती है।
  • शरीर में खून का प्रवाह तेज होता है जिससे ब्लड प्रेशर की बीमारी में आराम मिलता है।
  • सूर्य नमस्कार का असर दिमाग पर पडता है और दिमाग ठंडा रहता है।
  • पेटके पास की वसा (चरबी) घटकर भार मात्रा (वजन) कम होती है जिससे मोटे लोगों के वजन को कम करने में यह बहुत ही मददगार होता है।
  • बालों को सफेद होने झड़ने व रूसी से बचाता है।
  • क्रोध पर काबू रखने में मददगार होता है।
  • कमर लचीली होती है और रीढ की हडडी मजबूत होती है।
  • त्वचा रोग होने की संभावना समाप्त हो जाती है।
  • हृदय व फेफडों की कार्यक्षमता बढती है।
  • बाहें व कमर के स्नायु बलवान हो जाते हैं ।
  • कशेरुक व कमर लचीली बनती है।
  • पाचन क्रिया में सुधार होता है।
  • मन की एकाग्रता बढती है।
  • यह शरीर के सभी अंगों, मांसपेशियों व नसों को क्रियाशील करता है।
  • इसके अभ्यास से शरीर की लोच शक्ति में आश्चर्यजनक वृद्धि होती है। प्रौढ़ तथा बूढे़ लोग भी इसका नियमित अभ्यास करते हैं तो उनके शरीर की लोच बच्चों जैसी हो जाती है।
  • शरीर की सभी महत्वपूर्ण ग्रंथियों, जैसे पिट्यूटरी, थायरॉइड, पैराथायरॉइड, एड्रिनल, लीवर, पैंक्रियाज, ओवरी आदि ग्रंथियों के स्रव को संतुलित करने में मदद करता है। 
  • शरीर के सभी संस्थान, रक्त संचरण, श्वास, पाचन, उत्सर्जन, नाड़ी तथा ग्रंथियों को क्रियाशील एवं सशक्त करता है।
  • पाचन सम्बन्धी समस्याओं, अपच, कब्ज, बदहजमी, गैस, अफारे तथा भूख न लगने जैसी समस्याओं के समाधान में बहुत ही उपयोगी भूमिका निभाता है।
  • वात, पित्त तथा कफ को संतुलित करने में मदद करता है। त्रिदोष निवारण में मदद करता है।
  • इसके अभ्यास से रक्त संचालन तीव्र होता है तथा चयापचय की गति बढ़ जाती है, जिससे शरीर के सभी अंग सशक्त तथा क्रियाशील होते हैं।
  • इसके नियमित अभ्यास से मोटापे को दूर किया जा सकता है और इससे दूर रहा भी जा सकता है।
  • इसका नियमित अभ्यास करने वाले व्यक्ति को हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, निम्न रक्तचाप, मधुमेह, गठिया, कब्ज जैसी समस्याओं के होने की आशंका बेहद कम हो जाती है।
  • मानसिक तनाव, अवसाद, एंग्जायटी आदि के निदान के साथ क्रोध, चिड़चिड़ापन तथा भय का भी निवारण करता है।
  • रीढ़ की सभी वर्टिब्रा को लचीला, स्वस्थ एवं पुष्ट करता है।
  • पैरों एवं भुजाओं की मांसपेशियों को सशक्त करता है। सीने को विकसित करता है।
  • शरीर की अतिरिक्त चर्बी को घटाता है।
  • स्मरणशक्ति तथा आत्मशक्ति में वृद्धि करता है।

 कैसा हो क्रम

 सूर्य नमस्कार गतिशील आसन माना जाता है। इसका अभ्यास आसनों के अभ्यास के पूर्व करना चाहिए। इससे शरीर सक्रिय हो जाता है, नींद, आलस्य व थकावट दूर हो जाती है।
सावधानी भी है जरूरी
क्षमता से अधिक चक्रों का अभ्यास या शरीर पर अनावश्यक जोर डालने का प्रयास बिल्कुल न करें। रोग से ग्रस्त लोग योग्य मार्गदर्शन में प्रयास करें।
एकाग्रता का ध्यान रखें
श्वास-प्रश्वास एवं शरीर के दबाव बिन्दु पर एकाग्रता बनाए रखें।
सीमाएं भी जानें

  • इसका अभ्यास सभी आयु वर्ग के लोग अपनी क्षमता का ध्यान रखते हुए कर सकते हैं। पाद हस्तासन का अभ्यास सायटिका, स्लिप डिस्क तथा स्पॉन्डिलाइटिस के रोगी कदापि न करें।
  • फ्रोजन शोल्डर की समस्या से ग्रस्त लोग पर्वतासन, अष्टांग नमस्कार तथा भुजंगासन का अभ्यास न करें।
  • महिलाएं मासिक धर्म एवं गर्भाधारण के दिनों में इसका अभ्यास न करें।
  • उच्च रक्तचाप तथा हृदय रोगी इसका अभ्यास योग्य मार्गदर्शन में करें।
  • बच्चों को इसका अभ्यास उचित मार्गदर्शन में कराएं ताकि कोई नुकसान न हो।
  • इसके अभ्यास के लिए सुबह का समय चुनें ताकि खाली पेट कर पाएं और अभ्यास करने के आधे घंटे बाद ही खाएं।
For yog and meditation training or classes kindly 
mail me yogawithanu@gmail.com or call 888 291 6065

Monday, March 9, 2015

Here is a list of spiritual and religious leaders who make reference to the Kingdom of Heaven within.


Guru Nanak
(Sikh)
As fragrance abides in the flower,
As the reflection is within the mirror,
So doth thy Lord abide within thee,
Why search Him without?

Lord Buddha
(Buddhist)
The subject on which I meditate is truth.
The practice to which I devote myself is the truth.
The topic of my conversation is truth.
My thoughts are always in truth.
For lo! my self has become the truth

Jesus Christ
(Christian)
Being asked by the Pharisees when the
kingdom of God was coming, he answered them,
"The kingdom of God is not coming with signs
to be observed; nor will they say, ‘Lo, here it is!’ or
‘There!’ for behold, the kingdom of God is within you."

Vedas
(original Indian holy text)
There is one Supreme Ruler, the inmost Self of all beings,
who makes His one form manifold.
Eternal happiness belongs to the wise,
who perceive Him within themselves - not to others

Lao Tzu
(Taoist)
Worlds and particles, bodies and beings, time and space:
All are transient expressions of the Tao.

Prophet Mohammed
(Islam)
He who knows his own self, knows God.

Sri Rama
(Hindu)
Think that you are Parabrahman, you have no attachment,
 you are all-knowing and you are pure. Always feel like
 this and establish your oneness with the Paramatman
and derive bliss within yourself without caring to
know what is outside of you.

Zoroaster
(Zoroaster)
One need not scale the heights of the heavens
nor travel along the highways of the world
to find Ahura Mazda. With purity of mind
and holiness of heart one can find
Him in one’s own heart.

Sri Sankaracharya
(Hindu)
Curb your senses and your mind and see the
Lord within your heart.

Swami Vivekananda
(Hindu)
It is impossible to find God outside of ourselves.
Our own souls contribute all of the divinity that is
outside of us. We are the greatest temple.
The objectification is only a faint imitation of
what we see within ourselves.

Let Peace be with you and have a Blissful day

Tobias

Saturday, February 28, 2015

Free Demo Yoga Classes on Sunday

Dear All,
You all are cordially invited for the participation of free yoga and meditation classes to be conducted by "YOG AVAM DHYAN KENDRA" located in opposite Badshahpur Police station. at Ansal Park.







Timings are : Morning 6 Am to 9 Am
Evening   5:PM to 7 PM

Contact Person : Yogacharya Aditya
Mob. +91-9971637671
email : yogawithanu@gmail.com

Friday, February 27, 2015

Roj Kare Yog, Rahoge Nirog.


Yogic Healing Of Mind, Body And Spirit

Feb 27 2015 : The Times of India (Delhi)
the speaking tree - Yogic Healing Of Mind, Body And Spirit
१. योगसह चित्त वृति निरोध: 
                     योग वह क्रिया है जिससे मन अर्थात चित्त की विकार को रोकता है; मन में उत्पन्न कोतूहल को रोकना ही योग है 



The practice of yoga was intuited, channelled, perfected and codified by our rishis and sages for the attainment of total health in body , mind, and spirit, so that the material human body may be a vehicle for spiritual awakening and enlightenment. The word `yoga' means `union'. Yoga is that which we become, that which unfolds and awakens when the body , mind, thoughts, motions and intentions are joined together.Today , joyfully, the practice of yoga is burgeoning throughout the world. Yet, there is rampant competition amongst styles, lineages and `brands' of yoga.`Which is the best?' is a common question. If there can be a `best' and therefore a `worst', it is not yoga. If there is competition, criticism, back-stabbing and cheating, it is not yoga. Yoga is cooperation. Yoga is togetherness. Yoga is a practice through which we connect to our own breath, bodies, minds and ultimately to our spirits. Then, in that divine, eighth limb of yoga as elucidated by Patanjali, we experience samadhi, the ultimate union of our spirit with the Supreme Spirit, our soul with the Supreme Soul. It is a union, verily, of us to each other and to the Universe.
Today the world needs yoga more than ever. However, we need it not only because we are more out-ofshape, obese and at risk for diabetes and heart disease than ever. All of that is true and yoga can be a fabulous panacea for nearly all that ails our physical body . Yet yoga has much more to offer. Today that which ails us ­ as individuals, communities, societies, religious groups and nations ­ is separation. The borders and boundaries between `me' and `you' and `us' and `them' are thicker and more i and `them' are thicker and more intractable than ever. Our personal frame of reference is narrowing each day .


२ . स्थिर सुखम् आसनम् : 
               स्थिर पूर्वक बैठकर सुख से  किया जाने वाला आसान ही योग है ध्यान रहे  योग करते समय अपने मन को शांत रखे/ योग करने के पूर्व मन को एकाग्रचित्त करने का प्रयास करे और हो सके तो योगासन करते समय अधिक बल ना लगाये /
भारत में ऋषि मुनि प्राचीन काल से योग करते रहे है


Our culture expounds `Vasudhaiva Kutumbakam', that the world is one family . However, today , most of us do not identify as members of the world family .Rather, we identify as members of a political party or a religious group, or a country club, or followers of a particular guru. The lines between us get thicker and thicker. That separation, that sense of `self ' versus `other' is what permits us to dehumanise each other so drastically that we can be complicit, directly or indirectly, in each other's suffering and death. That sep aration is also what leads to the increase of depression world wide. Depression is marked by feeling alone, disconnected, isolated from the world, feelings which, when taken to an extreme, permit us to even take our own lives without realising the pain our death will cause others.

योगस्थ: कुरु कर्माणि सङ्गं त्यक्त्वा धनंजय ।
सिद्ध्यसिद्ध्यो: समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते ।।
(yoga-sthaḥ kuru karmani sanyugam tyaktvā dhananjay
siddhy-asiddhyoḥ samo bhutvā samatvam yoga ucyate)
Bhagavad Gita 2.48

Yoga is a solution. It is a solution to our abysmal physical health and skyrocketing medical bills. The postures and breathing exercises are unparalleled in their ability to restore wellness.Yoga is a solution to personal angst, depression and lack of meaning in our lives. As we connect with divine prana, we realise that we are being nourished by the Universe, and inextricably linked to the web of Life. Yoga is also a solution to that which ails our planet. When we realise our interconnectedness, then we stand up and change our attitude and our actions into ones that protect that global family as ardently as we'd protect our own nuclear family .
The challenge is ours: to co-opt yoga into yet another way to compete with each other and separate ourselves from each other, or to use it in its fullest meaning, bringing health to ourselves, our communities and our world. The International Yoga Festival is being held at Parmarth Niketan, Rishikesh, March 1-7. For details, visit http:www.internationalyogafestival.com
Follow Swami Chidanand Saraswati at speakingtree.in

Wednesday, February 25, 2015

Yoga: Art of Self Concentration

Yoga: Art of Self Concentration

What is Yoga?

Yoga PosesYoga is a Sanskrit word which defines a majestic art which maintains physical, mental as well as spiritual discipline of our body. Through the practices of Yoga, we discover that concern for the happiness and well being of others, including animals, must be an essential part of our own quest for happiness and well being. The fork can be a powerful weapon of mass destruction or a tool to create peace on Earth.
It is a very famous saying by B.K.S Iyegnar Yoga teaches us to cure what needs to be endured and endure what needs to be cured. Yoga is the art of seeking and discovering the universal reality by following a set of physical and mental exercises. This truth is revealed when there is complete harmony and peace between body, mind and spirit. In Sanskrit, the word Yoga is derived from 'yog' which means yoke or to join. More contemporary rewards of Yoga are accomplishing physical beauty, youth and vitality that makes it so popular.
The primary goal of this majestic art, Yoga, is to attain a state of perfect spiritual inside and perfection which requires mediating on our super soul. The goals of Yoga are varied and it ranges from improvement of health till the achievement of Moksha. If we talk about the goals of Yoga according to the concept of the Hindu Monist schools like Advaita Vedanta, Shaivism and Jainism, Yoga is primarily performed to attain Moksha which is liberation from all types of sufferings of this world in between the cycle of birth and death.

Yoga - Its Significances

Yoga is performed by practicing its various Asanas which have been developed over more than 1500 years. These Asanas of Yoga have come into existence with the primary aim of promoting our physical, mental as well as spiritual development. Each Asana is particularly designed to focus on only specific areas of the body. The special effects of Asana include:
  • Building strength in specific muscle groups
  • Stretching specific soft tissues including muscles, ligament and tendons
  • Opening specific joints
  • Developing balance and concentration
  • Massaging and stimulating internal organs
These special effects can have individual significant benefits, but by combine individual Asana into a carefully developed and balanced routine e.g. the Hatha Yoga practitioner can develop their entire physical body, internal organ function and mental clarity.

Yoga - Its importance in the Modern society:

In the present modern scenario, Yoga is very essential to be performed because technology has given rise to certain new types of physical ailments such as nervous, tension, stress, insomnia, different types of allergies, mental illness such as constant cravings, mental instability and so on. So now we have reached the stage where, we have to make the use of our higher life forces to get rid of these maladies, otherwise, the future of man and society will be in jeopardy. It has already been proved that Yoga has got power to prevent and cure most of the diseases without medicine. So, Yoga is the primary requirement to adopt with today's lifestyle.

Benefits of Yoga in our life:

Yoga has several benefits like on physical level, Yoga helps in curing of psychosomatic diseases, non-infectious physical diseases. Yoga help us in developing a beautiful, all buoyant and healthy body. On the mental level- it can improve the powers of memory, concentration, logical thinking and creativity. On the behavioral level- it cures bad habits and addictions. On the spiritual level-it helps in achieving self purification. In Yoga, the man goes transcendental and experiences bliss which refreshes him thoroughly. In the advanced stage of Yoga, one attains direct perception of the self-realization.

Yoga - Discover Its Types:

Yoga is of basically eight types. The majority of them engage the use of different Asana & Pranayams, which are meditation and breathing exercises. Here we shall discuss few of the well-known types of yoga, their methods and their benefits on the health:
  • Bhakti Yoga: The Bhakti Yoga is dedicated on the devotion and love to the God. This Yoga is primarily performed to realize the existence of the Almighty power in the universe.
  • Hatha Yoga: The Hatha Yoga was discovered by a very profound Yogi Swatmarama who belongs to India. The practice includes presentation of postures, exercises related to breathing, meditation, and cleansing actions such as Shatkriyas.
  • Jnana Yoga: The Jnana Yoga aimed towards separating the person from all the lavish facilities of the life .The person who performs this Yoga achieves calm, satisfaction of brain, confidence, aptitude for attentiveness and the staying power to survive.
  • Karma Yoga:The Karma Yoga is based on the devotion of all elements or karmas and their fruits to the Almighty. This Yoga helps in internal purification to discover our inner potential. This Yoga is designed to provide selfless service to the needy and poor people.
  • Astanga: The Power Yoga: The Astanga also known as Power Yoga was developed by a renowned yogi K.Pattabhi Jois. This Yoga primarily focuses on performing the poses in a certain order at a fast pace. Since, it is practiced at a fast rate; it requires a lot of endurance.
  • Birkram: The Hot Yoga: This Yoga was developed by Bikram Choudary and it gains its reputation of being the Hot Yoga. It is called so, because it requires 26 poses to be performed at a very high temperature of 95 degrees as according to Bikram, practicing at high temperature helps our muscles to loosen and it also helps in sweating which is a very important method of cleaning toxins from our body.
Whatever we choose, Yoga is a pleasing form of exercise and fitness for many people, as it holds many physical as well as mental benefits.
Lets have a look at some famous books on Yoga which are written by very profound literate to explore its important techniques and principles.

Yoga Poses/ Yoga Positions / Yoga Asana

Yoga is always considered as the most influential way of maintaining good health along with spiritual advancement. Yoga is practised in various poses and most of the poses are easy to learn and they also help in maintaining physical as well as spiritual growth.

Lets have a look at some Carmon poses of Yoga:
  • Shoulder stand: This is a very common pose of yoga which is practiced for rejuvenation of all body parts including loss of body weight also.
  • Bow pose: The bow pose of Yoga is practiced to produce excessive heat from the body which in turn helps in burning of extra body fat thus maintaining a healthy body.
  • Tree pose: The Tree pose is very easy to be learnt but it should be learnt with a clear mind. This pose helps in maintaining the strength of legs as well as the balance of our body.
  • Forward Bend: This pose is basically based on the spine and by practicing this pose, one can easily maintain the regulation of his/ her kidneys.
  • Sun Salutations: This Yoga is performed to warm up our entire body and this pose also helps in maintaining the flexibility of our body.
Hence, these are some of the most common poses of Yoga which you can perform by yourself to maintain your physical as well as mental development. Apart, from these poses, you may can also consider the following books to learn more about Yoga and its poses. Have a look at the below mentioned books to enhance your knowledge about Yoga.

Yoga: Explore some famous books

  • Light on Yoga: This book is written by B.K.S Iyegnar who is a profound literate of this art and he uses magical words to explain every principle of Yoga to its readers to help them achieve a better spiritual, mental and emotional state of being.
  • Yoga Anatomy: This is a very popular book on Yoga written by Leslie Kaminoff which provides step by step instruction on the various poses that we can perform when practicing Yoga. The principles of Yoga are well defined to help you not only to learn Yoga, but it also helps you to explore the deeper meaning of each exercises.
  • The Key muscles of Yoga: This book is written by Ray Long, and it aims to show the most important muscles that are affected by yoga and the ways in which that helps your body overall. It allows you to really get an anatomical sense of how yoga is benefiting you as well as to see it all through color and three-dimensional photos that can help you understand just how it is affecting your overall person.
  • The Subtle Story: This book is written Cyndi Dale. This Book produces an anatomy for all the unseen factors such as our spirit and mind, and shows the ways in which healing can affect these parts of your body. The unseen fields hinge upon the physical condition but can be affected and bettered with various breathing methods and exercises so that you get a really deep kind of therapy in your life.
Apparently, at the end, many people have experienced how yoga has improved their lives. With all the different styles and types of Yoga, each individual can surely settle on a practice that will meet their physical needs. In short, for betterment of your lives and to achieve the utmost pleasure, do Yoga regularly.

What is Hot Yoga or Bikram Yoga?


What is Hot Yoga

Increasing popularity of hot yoga: Basic tips, benefits and myths

Hot yoga or more popularly Bikram yoga is getting very popular around the world and particularly in the US. It was invented by Bikram Chaudhary in the decade of 70s. Less precisely this is any yoga class done in a heated room and room is usually done at a temperature of 95-100 degrees Fahrenheit. An intense yoga session at high temperature causes profuse sweating and makes the body very warm. Though, some parts of this yoga are in themselves calorie-burning and helps in muscle-building but it is more an individual choice.

Bikram Yoga

This method of hot yoga is a series of 26 yoga postures that comprises two breathing exercises. They are performed twice during the 90-minute session. Bikram Choudhury, born in Calcutta, established Yoga College of India in Beverly Hills. He and his wife Rajashree were both yoga Gurus

Tips for Hot Yoga -for beginners

You should have your own yoga mat as you will be profusely sweating. This is precisely students tend to wear less clothes during the session.
Drink sufficient water so that you don't get dehydrated. Don't eat anything 2-hours before the class.
  • If you do yoga from Bikram method, studio should be certified to teach Bikram Yoga.
  • Pregnant women should avoid doing hot yoga.
  • Bring a bottled water, towel for face
  • You can wear regular yoga clothes.
  • What happens in the hot yoga session?
The moment you enter the class temperature suddenly changes and this sudden change will shock your system. Few people don't prefer wearing clothes so don't get surprised if you cross half naked men in the classroom. Be prepared for immense sweat during the session. You can wipe out your faces in between the session.

Logic behind Bikram Yoga

The heated studio makes your body more flexible. The postures and asanas stimulate and restore health to muscles and joints. It is a fact that most of the people don't use full capacity of lungs and hot yoga session helps you realize full potential of lungs. Thus you take more oxygen and exhale more carbon di oxide. This improves blood circulation resulting in improvement in cardiovascular activity. Extension and compression of lungs work simultaneously in order to inject fresh blood to every joint and organ. The pumping of excess, fresh blood is called extension.

Benefits of hot yoga

Hot yoga warms and stretches muscles, ligaments, and tendons .It detoxifies body by releasing toxins. This reduces stress and improves circulation of blood in the body. The profuse sweating results in loss of weight and strengthens muscles. It helps a lot in chronic diseases diabetes, thyroid and arthritis. It prevents body from injuries. Bikram had suffered a knee injury while training for weightlifting. He was told by doctors that he would never walk again .After that Bikram started practicing his Yoga practice it allowed him to rebuild his muscle and walk again.

Controversies surrounding Bikram Yoga (hot yoga)

Medical experts are of the view that excess strain exerted on muscles in hot environment increases danger of muscle or ligament stretched beyond biological limit causing damage. But there is other side of coin also. Many scholars of yoga explain that the demand for energy in heated environment stimulates metabolic processes and slows down other processes. They opine that Yoga should be practiced in optimum & comfortable conditions. Explaining further they say, Yoga is all about relaxation and it is not stressful exercise. In hot yoga the heart rate, respiration rate and blood pressure increases and this can be dangerous. They emphasisze that Yoga should be done on the line of methods prescribed by Patanjali. The relaxed body results in lowering of respiration rate, blood pressure and normal heart rate which in turn lowers the metabolic rate. As per experts, "The in Bikram's 26 poses, especially the Hero and Camel poses, may cause damage to lower back, groin, knees and ankles." On the other hand there are yoga scholars who talk about the many fold advantages of hot Yoga refuting claims against hot yoga.
However to be on a safer side it's best to consult a physician before taking up any work out regime -including hot yoga.

Tuesday, February 24, 2015

EXCLUSIVE Is Reliance offering 10-year interest-free loan for buying insurance? - Moneylife

EXCLUSIVE Is Reliance offering 10-year interest-free loan for buying insurance? - Moneylife
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Is Reliance offering 10-year interest-free loan for buying insurance?
RAJ PRADHAN | 02/07/2013 06:01 PM |   
Customers have got fraudulent calls offering a Rs10 lakh interest-free loan from Reliance Capital when you buy Reliance Life Money Multiplier policy of Rs1 lakh premium

Fraudulent callers from Reliance Life are offering Reliance Capital’s interest-free loan of Rs10 lakh for 10 years if you pay a yearly premium of Rs1 lakh for its Money Multiplierinsurance product. You may wonder how Reliance Life can make such a fantastic offer without any collateral. After all, you can just vanish after getting the loan and not pay the remaining nine premiums. Before you plan to get away after quick riches, the truth is that the dubious callers will disappear without giving you any loan once they stick you with an insurance policy of a trivial value.
 
Moneylife has spoken with these shady characters few times on the phone (011-65981239/011-65695595). The callers guided us to page nine of the Money Multiplier brochure. It says that the loan works out to 80% of the surrender value. Anyone familiar with the surrender value knows that it is usually pathetic and paying just one premium means the surrender value is zero. The caller is looking for a gullible person to take for a ride. The pitch is, “Reliance Capital interprets surrender value as maturity value of the product”. This is the crux of deceit and if you bite the bait, you will be lured into making a dud investment.
 
The caller promises that the Money Multiplier policy will give guaranteed Rs22 lakh on maturity after 10 years, but only Rs1.2 lakh will be returned to policyholder. It justifies what the brochure mentions about loan given at 9% p.a. interest rate. It signifies that Reliance Capital makes money on the loan. The justification for loan is that “to be on safer side for Reliance Capital, it is offering a loan of nearly 50% instead of 80% of the maturity value”. The caller says that the policy bond will be kept as collateral with Reliance Capital. It is to create an impression that the policy bond is of significant value even though it is worthless if you end up paying just one premium.
 
The callers, who are based in New Delhi and give their address as 13th floor, Lalit Towers, Connaught Place, seem to have answers to all the doubts. They assure that the Reliance Capital loan will be processed within one month of the policy issuance. To make you comfortable they offer a 45-day free-look period even though page ten of the brochure clearly states that there will be only a 15 day free-look period. It’s just fraudulent sales tactics to offer something more than what the brochure clearly states.
 
If you still wonder what action they will take in case you disappear after getting the loan, their quick reply is to bring Insurance Regulatory and Development Authority (IRDA) into the picture by claiming that IRDA’s recovery department will help in case the policyholder does not pay after first premium!
 
In reality, IRDA does not have any recovery department. The callers say that your credit score will be affected and any future loan will be difficult as the RBI (Reserve Bank of India) will also be reported. They claim that Reliance Capital does not have to worry about it. They are correct with their assessment. Reliance Capital is free of any liability because it does not give you the loan promised by these ludicrous callers.
 
It is time IRDA gets tough with these fraud calls. There are susceptible customers who fall prey with brand names of big corporates. Will they get justice?
 
Here is Reliance Life’s official reply:
 
The instances of “offering Rs10 lakh insurance loan from Reliance Capital offers” are made by spurious callers, a menace faced by the industry, and not part of any mis-selling. The industry has sought help from the EOW and we, as Reliance, have also filed over 170 FIRs against these spurious callers - wherever the customer/victim/complainant has agreed to help us. Please share all the numbers that you have, with a written formal complaint (which is needed to lodge FIRs), to us so that our legal teams can lodge relevant FIRs against these spurious callers. A formal complaint, giving details of the complainant, is mandatory for filing FIRs. Please also inform your readers about the same and guide them that they can write to us at "rlife.headcustomercare@relianceada.com”, in case they get any such false offers.
 
In the second part, we will give a specific case of someone who actually purchased Reliance Life Money Multiplier with the expectation of getting a loan. Watch out for the story tomorrow.
 

समस्या बिना कारण नहीं आती, उनका आना आपके लिए इशारा है कि कुछ बदलाव

जीवन में समस्याएं आना आम है। लेकिन इनसे घबराने की बजाय, इनका सामना करने और अपनी ज़िंदगी को बेहतर बनाने के कई तरीके हैं। यहाँ कुछ सुझाव दिए ग...