बुंदेली लोग गीत
हरे बांस मंडप छाये, सिया जी को राम व्याहन आएं।
हरे बांस मंडप छाये, सिया जी को राम व्याहन आएं।
१.जब सिया जो की लिखती लागुनिया,रकम रकम कागज आये।
सिया जो को राम व्याहन आये।
हरे बांस मंडप छाये, सिया जी को राम व्याहन आएं।
२. जब सिया जो के होत है टीकों २, ऐरावत हांथी आय।
सिया जो को राम व्याहन आये।
३. जब सिया जो के चढ़त चढ़ाये, भातिं भांति गहने आय।
सिया जो को राम व्याहन आये।
हरे बांस मंडप छाये, सिया जी को राम व्याहन आएं।
४. जब सिया जो की परती भाँवरें २, ब्रम्हा पंडित बन आय।
हरे बांस मंडप छाये, सिया जी को राम व्याहन आएं।
५. और जब सिया जो की होत विदा है २, सब सखियन आसूं छाये।
सिया जो को राम व्याहन आये।
हरे बांस मंडप छाये, सिया जी को राम व्याहन आएं।
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