Wednesday, January 30, 2019

तनाव एवम् अवसाद से बचना है तू योगासन प्राणायाम करें (Yoga for stress relief and better health)

[30/01, 9:25 AM] Chitanand Roopah Sivohum


 नमस्कार।
जो व्यक्ति ब्लड प्रेसर या अत्याधिक तनाव या अवसाद में रहते हैं, उनके लिए योग, प्राणायाम एवम् ध्यान एक वरदान की तरह है अनेक वैज्ञानिक अध्ययन से साबित हुआ है। अतः आप अपने जीवन में योग प्राणायाम को जोड़ कर देखे, आपको उम्मीद से अधिक लाभप्रद होंगे।

आज से ही सब योगमय जीवन की और अग्रसर होते हुए, जीवन का आनंद लेते रहे और निरोगी जीवन जिए
१. कमसे कम समय में कौन-कौन से योगासन एवं प्राणायाम करें जिससे आप निरोगी रहै?

1. सूक्ष्म व्यायाम
2. सर्यनामस्कर
3. बालक आसन
4. ताड़ासन
5. वज्रासन

प्राणायाम
1. अनुलोम विलोम प्राणायाम
2. Kapalbhati
3. ओम जाप
4. भ्रामरी प्राणायाम

ध्यान
तीस मिनट ध्यान लगाए। या शवासन करे अत्यंत लाभायक होगा।
Dr Anoop Kumar Bajpai Gurgaon

Tuesday, December 18, 2018

Yoga and Meditation for cure of Blood pressure, obesity and asthma disease ह्रदय रोग, मोटापा और अस्थमा से बचाव के लिए करे योग एवं प्रणायाम


ह्रदय रोग, मोटापा और अस्थमा से बचाव के लिए करे योग एवं प्राणायाम
लेखक
डॉ अनूप कुमार बाजपाई

भगवद्गीता में श्रीकृष्ण ने एक स्थल पर कहा है 'योग: कर्मसु कौशलम्‌' (योग से कर्मो में कुशलता आती हैं)।
आजकल के माहौल में थकना मना, लेकिन थकान में सभी है इस वजह से स्ट्रेस यानि तनाव एवं अवसाद में सभी लोग जीने को मजबूर है। यही तनाव धीरे धीरे अनेक रोगों की वजह बन जाता है । आजकल की जीवनशैली में सभी लोग चिंता, भय, असुरक्षा, अत्यधिक चिंतन, एवं कम समय में अधिक से अधिक संग्रह की होड़ में लगे है । बाहरी वस्तुओं से अधिक प्रेम ही तनाव एवं रोग का कारन है । खान-पान की गलत आदत और जीवनशैली में व्यापक बदलाव की वजह से आज ह्रदय रोग, मोटापा एवं अस्थमा जैसी गंभीर बीमारियां बहुत तेजी से बढ़ रही है ।
आजकल का प्रदूषण भी इन रोगो की मुख्य वजह बनता जा रहा है इससे अस्थमा एवं फेफड़ों रोग के मरीज बढ़ रहे है ।
ब्लड प्रेशर या हृदय रोग सामान्यता रक्तवाहिनियों में ख़राब कोलेस्ट्रॉल जमा होने से धमनिया (आर्टरीज) सकरी हो जाती है और ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। अन्य वजह से जैसे- अनुवांशिकता, नमक का अधिक सेवन, मोटापा, किडनी रोग एवं मधुमेह भी एक बजह हो सकता है।
मोटापा मुख्यता अधिक खानपान, शारीरिक श्रम की कमी, थाइरोइड रोग एवं हार्मोन की गड़बड़ी से होता है । संतुलित आहार एवं व्यायम से आप मोटापे से बच सकते है।
आज हम आपको इन तीनों रोगो से निपटने के लिए योग एवं प्रणायाम के बारे में बताएँगे, यदि आप नियमित रूप से अपने जीवनशैली में प्राणायाम एवं योग को सम्मलित करते है तो आप इन रोगो को खुद ठीक कर सकते है साथ ही एक स्वस्थ जीवन जी सकते है। योग हमको जीवन जीने की कला सिखाता है साथ ही खुद को कैसे स्वस्थ रखे ये भी बताता है तो आइये आज से योगमय जीवन जीने की प्रण ले ।
योग एवं प्राणायाम के नियम:
१. सुबह ४ से ५ बजे तक विस्तर छोड़ दे।
२. नित्य क्रिया से निमित्त होकर सूक्ष्म व्यायाम शुरू करे।


योगिक क्रियाएं या सूक्ष्म व्ययाम:
१. आँखों, हाथों का व्यायाम करे।
२. कमर, पेट एवं पैरों को व्यायाम करे और मन को शांत एवं पवित्र रखे।
३. १० बार तेजी से साँस ले और छोड़े।
योगासन: सूर्यनमस्कार:
सूर्यनमस्कार एक सम्पूर्ण आसन व्यायाम है। इसे करने से शरीर के सभी हिस्सों की एक्सर्साइज हो जाती है, साथ ही शरीर में फ्लेक्सिबिलिटी भी आती है। सुबह के समय खुले में उगते सूरज की ओर मुंह करके सूर्य नमस्कार करने से अधिक लाभ होता है। इससे शरीर को ऊर्जा मिलती है और विटामिन डी मिलता है। वजन और मोटापा घटाने में भी सूर्य नमस्कार लाभदायक होता है। सूर्य नमस्कार में कुल 12 आसन होते हैं जिनका शरीर पर अलग-अलग तरह से प्रभाव पड़ता है। आप सूर्यनमस्कार के २ से ६ राउंड कर सकते है ।
सूर्यनमस्कार क्यों करें ?
प्राचीनकाल में हमारे ऋषि मुनियों ने मंत्र और व्यायाम सहित एक ऐसी आसन् प्रणाली विकसित की, जिसमें सूर्योपासना का भी समावेश है। इसे सूर्यनमस्कार कहते हैं। इसके नियमित अभ्यास से शारीरिक और मानसिक स्फूर्ति की वृद्धि के साथ विचारशक्ति और स्मरणशक्ति भी तीव्र होती है। पश्चिमी वैज्ञानिक गार्डनर रोनी ने कहा हैः ʹसूर्य श्रेष्ठ औषधि है। सूर्य की किरणों के प्रभाव से सर्दी, खाँसी, न्यूमोनिया और कोढ़ जैसे रोग भी दूर हो जाते हैं।ʹ डॉ. सोले कहते हैं- ʹसूर्य में जितनी रोगनाशक शक्ति है, उतनी संसार की किसी अन्य चीज में नहीं है।ʹ

सूर्यनमस्कार करने की विधि:
१. सीधे खड़े हो जाए, दोनों पैर आपस में मिले रही नमस्ते मुद्रा बनाये प्रणामासना
२ हस्तउत्तानसना: दोने हांथों को जोड़कर सिर के पीछे लेकर जाय.
३. पादहस्त आसान: अब दोनों हांथों से पैरों के अंगूठे को पकडे
४. अश्व संचालन: दोनों हांथों को जमीं पर रके और एक पैर आगे एक पीछे
५. पर्वत आसान: पंजे एवं एड़ी जमीं पर रके और कमर का भाग ऊपर उठाये गर्दन दोनों हांथो की बिच में ६. अष्टांग नमस्कार: जमी पर आठ अंग को स्पर्श करए
७. सर्पासन या भुजङ्गासन छठी स्थिति में थॊडा सा परिवर्तन करते हुए नाभि से नीचे के भाग को भूमि पर लिटा कर तान दें। अब हाथों को सीधा करते हुए नाभि से उपरी हिस्से को ऊपर उठाएँ। श्वास भरते हुए सामने देखें या गरदन पीछे मोडकर ऊपर आसमान की ऒर देखने की चेष्टा करें । ध्यान रखें, आपके हाथ पूरी तरह सीधे हों या यदि केहुनी से मुडे हों तो केहुनियाँ आपकी बगलों से चिपकी हों।
7. पर्वत आसान:पंजे एवं एड़ी जमीं पर रके और कमर का भाग ऊपर उठाये गर्दन दोनों हांथो की बिच में
9. अश्व संचालन: दोनों हांथों को जमीं पर रके और एक पैर आगे एक पीछे 
10. पादहस्त आसान: अब दोनों हांथों से पैरों के अंगूठे को पकडे
11. हस्तउत्तानसना: दोने हांथों को जोड़कर सिर के पीछे लेकर जाय.
12. सीधे खड़े हो जाए, दोनों पैर आपस में मिले रही नमस्ते मुद्रा बनाये प्रणामासना
प्राणायाम: ब्रीदिंग तकनीक-
प्राणायाम योग के आठ अंगों में से एक है। प्राणायाम = प्राण + आयाम। इसका का शाब्दिक अर्थ है - 'प्राण (श्वसन) को लम्बा करना' या 'प्राण (जीवनीशक्ति) को लम्बा करना'। (प्राणायाम का अर्थ 'स्वास को नियंत्रित करना' या कम करना नहीं है।) हठयोगप्रदीपिका में कहा गया है-
चले वाते चलं चित्तं निश्चले निश्चलं भवेत्
योगी स्थाणुत्वमाप्नोति ततो वायुं निरोधयेत्॥२॥
(अर्थात प्राणों के चलायमान होने पर चित्त भी चलायमान हो जाता है और प्राणों के निश्चल होने पर मन भी स्वत: निश्चल हो जाता है और योगी स्थाणु हो जाता है। अतः योगी को श्वांसों का नियंत्रण करना चाहिये।
यावद्वायुः स्थितो देहे तावज्जीवनमुच्यते।
मरणं तस्य निष्क्रान्तिः ततो वायुं निरोधयेत् ॥
(जब तक शरीर में वायु है तब तक जीवन है। वायु का निष्क्रमण (निकलना) ही मरण है। अतः वायु का निरोध करना चाहिये।)
प्राणायाम को करने के लिए पहले आप एक आसन का चुनाव करे जैसे की; पद्मासन, सुखासन या सिद्धासन में बैठ जाये और मन एवं चित्त को एकाग्र करने का प्रयास करे । लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ ऐसे ब्रीदिंग तकनीक हैं, जिनके नियमित अभ्यास से आप मोटापे की समस्या से निजात पा सकते हैं।
दरअसल जब हम सांस लेते हैं तो इसके साथ हमारे शरीर के भीतर पहुंचने वाली ऑक्सीजन खून के माध्यम से शरीर की कोशिकाओं को पोषण देती है। ब्रीदिंग का महत्व बर्षों पूर्व से प्राणायाम के रूप में जाना व माना गया है। सही तरह से गहरी सांस लेने और छोड़ने मात्र से ही हमें कई तरह के फायदे होते हैं। जिनमें से एक है मोटापे से मुक्ति। तो चलिये जाने वजन घटाने के लिए किये जाने वाले ब्रीदिंग तकनीक व इन्हें करने की विधि के बारे में।
प्राणायाम का अभ्यास करते समय इन बातों का ख्याल रखें
  • साँस पर जोर न दें और साँस की गति सरल और सहज रखें। मुँह से साँस नहीं लेना है या साँस लेते समय किसी भी प्रकार की ध्वनि ना निकाले।
  • उज्जयी साँस का उपयोग न करें।
  • उंगलियों को माथे और नाक पर बहुत हल्के से रखें। वहाँ किसी भी दबाव लागू करने की कोई जरूरत नहीं है।
  • नाड़ी शोधन प्राणायाम के पश्चात् यदि आप सुस्त व थका हुआ महसूस करते हैं तो अपने साँस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया पर ध्यान दे। साँस छोड़ने का समय साँस लेने से अधिक लंबा होना चाहिए अर्थात् साँस को धीमी गति से बाहर छोड़ें।
1.  कपालभाती प्राणायाम
आसान: पद्मासन, सिद्धासन, स्वस्तिकासन अथवा सुखासन में बैठ जाएं।
मस्तिष्क के अगले भाग को कपाल कहा जाता है। कपालभाती प्राणायाम करने के लिए सिद्धासन, पद्मासन या वज्रासन में बैठकर सांस को बाहर छोड़ने की क्रिया करें। सांसों को बाहर छोड़ते समय पेट को अंदर की ओर धकेलने का प्रयास करें। लेकिन ध्यान रहे कि श्वास लेना नहीं है क्योंकि इस क्रिया में श्वास खुद ही भीतर चली जाती है। कपालभाती प्राणायाम का अभ्यास शुरू में एक सेकंड में एक बार ब्रीथ करे इस तरह ६० स्ट्रोक के बाद रोककर फिर करे ३ से पांच मिनट तक करे।
कपालभाती प्राणायाम के लाभ
  1. यह प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने से न सिर्फ मोटापे की समस्या दूर होती है बल्कि चेहरे की झुर्रियां और आंखों के नीचे का कालापन दूर होता है और चेहरे की चमक बढ़ाता है।
  2. कपालभाती प्राणायाम से दांतों और बालों के सभी प्रकार के रोग दूर हो जाते हैं।
  3. कब्ज, गैस, एसिडिटी की समस्या में लाभ होता है।
  4. शरीर और मन के सभी प्रकार के नकारात्मक भाव और विचार दूर होते हैं। 
  2.  भस्त्रिका प्राणायाम
आसान: पद्मासन, सिद्धासन, स्वस्तिकासन अथवा सुखासन में बैठ जाएं।
भस्त्रिका प्राणायाम करने के लिए पद्मासन में बैठकर, दोनों हाथों से दोनों घुटनों को दबाकर रखें। इससे पूरा शरीर (कमर से ऊपर) सीधा बना रहता है। अब मुंह बंद कर दोनों नासापुटों से पूरक-रेचक झटके के साथ जल्दी-जल्दी करें। आप देखेंगे कि श्वास छोड़ते समय हर झटके से नाभि पर थोड़ा दबाव पड़ता है। इस तरह बार-बार इसे तब तक करते रहना चाहिए जब तक कि थकान न होने लगे। इसके बाद दाएं हाथ से बाएं नासापुट को बंद कर दाएं से ज्यादा से ज्यादा वायु पूरक के रूप में अंदर भरें। आंतरिक कुम्भक करने के बाद धीरे-धीरे श्वास को छोड़ें। यह एक भास्त्रका कुम्भक होता है।
दोबारा करने के लिए पहले ज्यादा से ज्यादा पूरक-रेचक के झटके, फिर दाएं नासा से पूरक, और फिर कुम्भक और फिर बायीं नासा से रेचक करें। इस प्रकार कम से कम तीन-चार बार कुम्भक का अभ्यास करें। भस्त्रिका प्राणायाम अभ्यास ३ से पांच मिनट तक करे।

लाभ

·         हमारा हृदय सशक्त बनाने के लिये है।
·         हमारे फेफड़ों को सशक्त बनाने के लिये है।
·         मस्तिष्क से सम्बंधित सभी व्याधिओं को मिटाने के लिये भी यह लाभदायक है।
·         पार्किनसन, पैरालिसिस, लूलापन इत्यादि स्नायुओं से सम्बंधित सभी व्यधिओं को मिटाने के लिये।
·         भगवान से नाता जोडने के लिये।
·         लेकिन हृदय रोग, फेंफडे के रोग और किसी भी प्रकार के अन्य गंभीर रोग होने पर में यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए। 
  3.  अनुलोम–विलोम प्रणायाम
आसान: पद्मासन, सिद्धासन, स्वस्तिकासन अथवा सुखासन में बैठ जाएं।
अनुलोम–विलोम प्रणायाम में सांस लेने व छोड़ने की विधि को बार-बार दोहराया जाता है। इस प्राणायाम को 'नाड़ी शोधक प्राणायाम' भी कहा जाता है। अनुलोम-विलोम को नियमित करने से शरीर की सभी नाड़ियों स्वस्थ व निरोग रहती है। इस प्राणायाम को किसी भी आयु का व्यक्ति कर सकता है।  
अब अपने दाहिने हाथ के अंगूठे से नाक के दाएं छिद्र को बंद करें और नाक के बाएं छिद्र से सांस अंदर भरें और फिर ठीक इसी प्रकार बायीं नासिका को अंगूठे के बगल वाली दो अंगुलियों से दबा लें। इसके बाद दाहिनी नाक से अंगूठे को हटा दें और सांस को बाहर फैंके। इसके बाद दायीं नासिका से ही सांस अंदर लें और दायीं नाक को बंद करके बायीं नासिका खोलकर सांस को 8 तक गिनती कर बाहर फैंकें। इस क्रिया को पहले 3 मिनट और फिर समय के साथ बढ़ाते हुए 10 मिनट तक करें। इस प्रणायाम को सुबह-सुबह खुली हवा में बैठकर करें। 
अनुलोम विलोम प्राणायाम के लाभ
  • मन को शांत और केंद्रित करने के लिए यह एक बहुत अच्छी क्रिया है।
  • भूतकाल के लिए पछतावा करना और भविष्य के बारे में चिंतित होना यह हमारे मन की एक प्रवृत्ति है। नाड़ी शोधन प्राणायाम मन को वर्तमान क्षण में वापस लाने में मदद करता है।
  • श्वसन प्रणाली व रक्त-प्रवाह तंत्र से सम्बंधित समस्याओं से मुक्ति देता है।
  • मन और शरीर में संचित तनाव को प्रभावी ढंग से दूर करके आराम देने में मदद करता है।
  • मस्तिष्क के बाएँ और दाएँ गोलार्ध को एक समान करने में मदद करता है, जो हमारे व्यक्तित्व के तार्किक और भावनात्मक पहलुओं से संबंधी बनाता है।
  • नाड़ियों की शुद्धि करता है और उनको स्थिर करता है, जिससे हमारे शरीर में प्राण ऊर्जा का प्रवाह हो।
  • शरीर का तापमान बनाए रखता है।
  •  Note: दिल के रोगी कुम्भक न लगाए वगैर कुम्भक के अनुलोम विलोम करे हृदय रोगों, हाई ब्लड प्रेशर और पेट में गैस आदि शिकायतों में यह प्राणायाम धीरे धीरे करना चाहिये (60 बार एक मिनट में ) है।
शवासन या रिलेक्स पोज़
शवासन एक ऐसी मुद्रा है जिसमें शरीर को पूरी तरह विश्राम मिलता है। इसके लिए आप एक स्वच्छ स्थान पर चटाई या चादर बिछाकर लेट जाएं और हाथों को बिल्कुल सीधा रखते हुए जांघों से चिपका कर रखें। इसी पोजीशन में थोड़ी देर लेटे रहें और धीरे-धीरे गहरी सांसें लें। इससे मन शांत होता है और शरीर में नई ऊर्जा आती है। शवासन में हम खुद को तनाव रहित रहने का सुझाव लगातार देते है साथ ही मंद मंद श्वास प्रश्वांस लेते रहते है । मेरा पूरा शरीर तनाव रहित हो जाये । ये मानसिक जाप करते रहने से आप बिलकुल तनाव रहित होकर ऊर्जा से भर जाते है । १० से १५ मिनट तक करे
उद्गीथ प्राणायाम
ॐ का उच्चारण एवं भ्रामरी
इसके पश्चात् सुखासन में बैठकर पांच से दस बार ॐ का उच्चारण एवं भ्रामरी करे आप देखेंगे की आपको एक डिवीन एनर्जी प्राप्त होती है जो आपको शांतचित एवं तनाव मुक्त बनाती है।
सुखासन, सिद्धासन, पद्मासन, वज्रासन में बैठें। और लंबी सास लेके मुँह से ओउम का जाप करना है।

उद्गीथ प्राणायाम लाभ

  • पॉजिटिव एनर्जी तैयार करता है।
  • सायकीक पेंशेट्स को फायदा होता है।
  • मायग्रेन पेन, डिप्रेशन, ऑर मस्तिष्क के सम्बधित सभी व्याधिओं को मिटाने के लिये।
  • मन और मस्तिष्क की शांति मिलती है।
  • ब्रम्हानंद की प्राप्ति करने के लिये।
  • मन और मस्तिष्क की एकाग्रता बढाने के लिये।
योगाचार्य डॉ अनूप कुमार बाजपेई
आयुष योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र
गुडगाँव, हरियाणा
 मोबाइल न. + 91 882916065



References
  1. Sengupta P. Health Impacts of Yoga and Pranayama: A State-of-the-Art Review. Int J Prev Med. 2012;3(7):444-58.
  2. Bhavanani AB, Madanmohan, Sanjay Z Immediate effect of chandra nadi pranayama (left unilateral forced nostril breathing) on cardiovascular parameters in hypertensive patients..Int J Yoga. 2012 Jul; 5(2):108-11.
  3. https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A4%BF_(%E0%A4%B9%E0%A4%A0%E0%A4%AF%E0%A5%8B%E0%A4%97)
  4. Patañjali (2001-02-01). "Yoga Sutras of Patañjali" (etext). Studio 34 Yoga Healing Arts. अभिगमन तिथि 2008-11-24.
  5. मन के नियंत्रण के लिए एक तंत्र के रूप में "राजा योग" के लिए और एक महत्वपूर्ण कार्य के रूप में पतंजलि के योग सूत्र के साथ संबंध के लिए देखे: फ्लड (1996), पीपी. 96-98.
  6. भगवद गीता, एक पूरा अध्याय (ch. 6) पारंपरिक योग का अभ्यास करने के लिए समर्पित सहित. इस गीता मे योग के प्रसिद्ध तीन प्रकारों, जैसे 'ज्ञान' (ज्ञान), 'एक्शन'(कर्म) और 'प्यार' (भक्ति) का परिचय किया है।" फ्लड, पी. 96
  7. www.clinicalkey.com
  8. www.google.com
  9. Art of living



Tuesday, December 4, 2018

Donation Required for New Project

Dear All,



I wanted to start a yoga study on government school children's Importance of Yog and Medition among school going childrens in India.

I request you all, to contribute and Donate Yoga Mats, Jal Neti Pot, Money as you wish, Books and other related items.

Hope you will do for novel cause and healthy society for Indian Child.

You can Transfer Money to my Paytm No. for account contact Given Below No.

Paytm No. +91 888 291 6065

Thanks

Dr Yogi Anoop Kumar Bajpai
CMD
Ayush Yog and Wellness Centre
Gurgaon, 122001, Haryana
Email:yogawithanu@gmail.com
anooplib@gmail.com

Thursday, November 29, 2018

डायबिटीज नहीं होगी, यदि आप नित्य ६ योगासन करते रहेंगे (Yogasana for Diabetes Cure)


डायबिटीज नहीं होगी, यदि आप नित्य ६ योगासन करते रहेंगे

योगाचार्य डॉ अनूप कुमार बाजपेई

महर्षि पतंजलि योग दर्शन के अनुसार  - योगश्चित्तवृत्त निरोधः (1/2) अर्थात् चित्त की वृत्तियों का निरोध ही योग है।

योग शुरू करने से पहले मन को एकदम शांत एवं विचार रहित करने का प्रयास करे फिर योगासन शुरू करे तभी आपको अत्यधिक लाभ प्राप्त होगा।

कर्मकाण्ड के अनुसार -योग: कर्मसुकौशलम अर्थात कर्मो में कुशलता है योग है ।

आजकल के माहौल में थकना मना, लेकिन थकान में सभी है इस वजह से स्ट्रेस यानि तनाव में सभी लोग जीने को मजबूर है। यही तनाव धीरे धीरे अनेक रोगों की वजह बन जाता है । आजकल की जीवनशैली में सभी लोग चिंता, भय, असुरक्षा, अत्यधिक चिंतन, एवं कम समय में अधिक से अधिक संग्रह की होड़ में लगे है । बाहरी वस्तुओं से अधिक प्रेम ही तनाव एवं रोग का कारन है ।

खान-पान की गलत आदत और जीवनशैली में व्यापक बदलाव की वजह से आज डायबिटीज के मरीजों की संख्या पूरे विश्व में बहुत ज्यादा बढ़ गई है। शारीरिक मेहनत की कमी भी डायबिटीज की एक बड़ी वजह है। डायबिटीज को पूरी तरह नहीं खत्म किया जा सकता लेकिन हम अपने ब्लड शुगर को कंट्रोल कर लें तो जिंदगी आराम से गुजारी जा सकती है। ब्लड शुगर को कंट्रोल करने के लिए खाने-पीने में थोड़ा सा परहेज और इन योगासनों की मदद ली जा सकती है। योगासनों हमारे बॉडी को बैलेंस बनाते है साथ ही मांशपेशियां भी मजबूत होती है

सर्वांगासन (Sarvangasana)
इस आसन के नाम से ही स्पष्ट है की ये आसन सभी अंगो एक्टिवेट एवं स्फूर्ति प्रदान करता है।








आसन करने का विधि
सर्वांगासन के लिए पीठ के बल लेट जाएं और दोनों हाथों को जमीन पर अगल-बगल रख लें। घुटना बिना मोड़े अब दोनों पैरों को उठाते हुए पैरों से समकोण बनाने की कोशिश करें। अब इस मुद्रा में थोड़ी देर रुकने के लिए कमर को हाथ से सहारा दे सकते हैं। अब थोड़ा और ऊपर उठने की कोशिश करें और अपनी ठुड्डी को सीने से टच करें। १० से १५ सेकंड इसी मुद्रा में रहने के बाद धीरे-धीरे वापस लेट जाएं।

 शवासन (Relexing Pose)

शवासन एक ऐसी मुद्रा है जिसमें शरीर को पूरी तरह विश्राम मिलता है। इसके लिए आप एक स्वच्छ स्थान पर चटाई या चादर बिछाकर लेट जाएं और हाथों को बिल्कुल सीधा रखते हुए जांघों से चिपका कर रखें। इसी पोजीशन में थोड़ी देर लेटे रहें और धीरे-धीरे गहरी सांसें लें। इससे मन शांत होता है और शरीर में नई ऊर्जा आती है। शवासन में हम खुद को तनाव रहित रहने का सुझाव लगातार देते है साथ ही मंद मंद श्वास प्रश्वांस लेते रहते है । मेरा पूरा शरीर तनाव रहित हो जाये । 
ये मानसिक जाप करते रहने से आप बिलकुल तनाव रहित होकर ऊर्जा से भर जाते है । १० से १५ मिनट तक करे।

पश्चिमोत्तासन (Pashchimottan Asana)

इस आसन से जांघ और बांह की मांसपेशियां मजबूत होने के साथ पेट के रोगों से छुटकारा मिलता है। इसे करने के लिए पैरों को सामने की तरफ करके बैठ जाएं (दण्डासन) और दोनों पैरों को आपस में चिपका कर रखें। अब दोनों हाथो श्वास भरते हुए सिर के ऊपर से निचे लेकर झुकते हुए हथेलियों से पैर के तलवों को पकडे। अगर आप पूरी तरह नहीं छू पा रहे हैं तो जितना संभव है कोशिश करें। इस आसन को नियमित करने से मोटापा भी कम होता है। याद रहे दोनों घुटने मुड़ना नहीं चाहिए यथा संभव इसी पोजीशन में रुकने का प्रयास करे ।

अर्धमत्स्येन्द्रासन (Ardhmatendra asana)

ये आसन फेफड़ों में स्वच्छ ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ाता है। इससे रीढ़ की हड़्डी मजबुत होती है और ब्लड सर्कुलेशन अच्छा रहता है। 

अर्धमत्स्येन्द्रासन पेट के अंगों की अच्छी तरह मसाज करता है। इसे करने के लिए पैरों को सामने की तरफ फैलाकर इस प्रकार बैठें कि आपकी रीढ़ तनी हो और दोनों पैर एक-दूसरे से चिपके हुए हों। अब अपने बाएँ पैर को मोड़ें और उसकी एड़ी को हिप्स के दाएं हिस्से की और ले जाएं। अब दाएं पैर को बाएँ पैर की ओर लाएं और बायां हाथ दाएं घुटनों पर रख लें और दायाँ हाथ पीछे की ओर ले जाएं। कमर, कन्धों और गर्दन को इस तरह दाईं तरफ मोड़ें।

मंडूकासन (Manduk Asana)
वज्रासन में बैठे और दोनों हांथो की मुठ्ठी अंगूठा अंदर तरफ करके बंद करे और नाभि के दोनों ओर मुठ्ठी को रखे ओर श्वास खाली करते हुए सिर को सामने जमीन पर लगाने का प्रयास करे कुछ पल रोके कर श्वास लेते हुए वापस वज्रासन में आ जाये दो से तीन बार करे ।

उष्ट्रासन (Camel Pose)

इसे करने के लिए वज्रासन में बैठ जाएं और फिर घुटनों के बल खड़े हो जाएं। अब श्वास भरते हुए पीछे की ओर झुकते हुए दाएं हाथ से दाहिनी एड़ी और बाएं हाथ से बायीं एड़ी को पकड़ें। इसके साथ ही सिर को पीछे की तरफ झुकाएं। इसी तरह रीढ़ की हड्डियों को भी पीछे की तरफ झुकाने की कोशिश करें। अब धीरे से वापस उसी क्रम में आये।

ध्यान (Meditation)
अगर कहा जाए कि सं

sanसार की अधिकांश समस्याओं को सिर्फ ध्यान के बल पर ठीक किया जा सकता है तो इसमें कोई भी अतिशयोक्ति नहीं है। नियमित ध्यान के अभ्यास से व्यक्ति में इंसानियत और मानवीयता के सद्गुणों का जन्म होता है। ध्यान से मानसिक तनाव को दूर करना सबसे अधिक कारगर और अचूक उपाय है।

इसके पश्चात् सुखासन में बैठकर पांच-पांच बार ॐ का उच्चारण एवं भ्रामरी करे, आप देखेंगे की आपको एक डिवीन एनर्जी प्राप्त हुए है जो आपको शांतचित बनाती है।

आयुष योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र
गुडगाँव, हरियाणा
ईमेल: yogawithanu@gmail.com  
मोबाइल : 8882916065


समस्या बिना कारण नहीं आती, उनका आना आपके लिए इशारा है कि कुछ बदलाव

जीवन में समस्याएं आना आम है। लेकिन इनसे घबराने की बजाय, इनका सामना करने और अपनी ज़िंदगी को बेहतर बनाने के कई तरीके हैं। यहाँ कुछ सुझाव दिए ग...