Thursday, November 29, 2018

डायबिटीज नहीं होगी, यदि आप नित्य ६ योगासन करते रहेंगे (Yogasana for Diabetes Cure)


डायबिटीज नहीं होगी, यदि आप नित्य ६ योगासन करते रहेंगे

योगाचार्य डॉ अनूप कुमार बाजपेई

महर्षि पतंजलि योग दर्शन के अनुसार  - योगश्चित्तवृत्त निरोधः (1/2) अर्थात् चित्त की वृत्तियों का निरोध ही योग है।

योग शुरू करने से पहले मन को एकदम शांत एवं विचार रहित करने का प्रयास करे फिर योगासन शुरू करे तभी आपको अत्यधिक लाभ प्राप्त होगा।

कर्मकाण्ड के अनुसार -योग: कर्मसुकौशलम अर्थात कर्मो में कुशलता है योग है ।

आजकल के माहौल में थकना मना, लेकिन थकान में सभी है इस वजह से स्ट्रेस यानि तनाव में सभी लोग जीने को मजबूर है। यही तनाव धीरे धीरे अनेक रोगों की वजह बन जाता है । आजकल की जीवनशैली में सभी लोग चिंता, भय, असुरक्षा, अत्यधिक चिंतन, एवं कम समय में अधिक से अधिक संग्रह की होड़ में लगे है । बाहरी वस्तुओं से अधिक प्रेम ही तनाव एवं रोग का कारन है ।

खान-पान की गलत आदत और जीवनशैली में व्यापक बदलाव की वजह से आज डायबिटीज के मरीजों की संख्या पूरे विश्व में बहुत ज्यादा बढ़ गई है। शारीरिक मेहनत की कमी भी डायबिटीज की एक बड़ी वजह है। डायबिटीज को पूरी तरह नहीं खत्म किया जा सकता लेकिन हम अपने ब्लड शुगर को कंट्रोल कर लें तो जिंदगी आराम से गुजारी जा सकती है। ब्लड शुगर को कंट्रोल करने के लिए खाने-पीने में थोड़ा सा परहेज और इन योगासनों की मदद ली जा सकती है। योगासनों हमारे बॉडी को बैलेंस बनाते है साथ ही मांशपेशियां भी मजबूत होती है

सर्वांगासन (Sarvangasana)
इस आसन के नाम से ही स्पष्ट है की ये आसन सभी अंगो एक्टिवेट एवं स्फूर्ति प्रदान करता है।








आसन करने का विधि
सर्वांगासन के लिए पीठ के बल लेट जाएं और दोनों हाथों को जमीन पर अगल-बगल रख लें। घुटना बिना मोड़े अब दोनों पैरों को उठाते हुए पैरों से समकोण बनाने की कोशिश करें। अब इस मुद्रा में थोड़ी देर रुकने के लिए कमर को हाथ से सहारा दे सकते हैं। अब थोड़ा और ऊपर उठने की कोशिश करें और अपनी ठुड्डी को सीने से टच करें। १० से १५ सेकंड इसी मुद्रा में रहने के बाद धीरे-धीरे वापस लेट जाएं।

 शवासन (Relexing Pose)

शवासन एक ऐसी मुद्रा है जिसमें शरीर को पूरी तरह विश्राम मिलता है। इसके लिए आप एक स्वच्छ स्थान पर चटाई या चादर बिछाकर लेट जाएं और हाथों को बिल्कुल सीधा रखते हुए जांघों से चिपका कर रखें। इसी पोजीशन में थोड़ी देर लेटे रहें और धीरे-धीरे गहरी सांसें लें। इससे मन शांत होता है और शरीर में नई ऊर्जा आती है। शवासन में हम खुद को तनाव रहित रहने का सुझाव लगातार देते है साथ ही मंद मंद श्वास प्रश्वांस लेते रहते है । मेरा पूरा शरीर तनाव रहित हो जाये । 
ये मानसिक जाप करते रहने से आप बिलकुल तनाव रहित होकर ऊर्जा से भर जाते है । १० से १५ मिनट तक करे।

पश्चिमोत्तासन (Pashchimottan Asana)

इस आसन से जांघ और बांह की मांसपेशियां मजबूत होने के साथ पेट के रोगों से छुटकारा मिलता है। इसे करने के लिए पैरों को सामने की तरफ करके बैठ जाएं (दण्डासन) और दोनों पैरों को आपस में चिपका कर रखें। अब दोनों हाथो श्वास भरते हुए सिर के ऊपर से निचे लेकर झुकते हुए हथेलियों से पैर के तलवों को पकडे। अगर आप पूरी तरह नहीं छू पा रहे हैं तो जितना संभव है कोशिश करें। इस आसन को नियमित करने से मोटापा भी कम होता है। याद रहे दोनों घुटने मुड़ना नहीं चाहिए यथा संभव इसी पोजीशन में रुकने का प्रयास करे ।

अर्धमत्स्येन्द्रासन (Ardhmatendra asana)

ये आसन फेफड़ों में स्वच्छ ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ाता है। इससे रीढ़ की हड़्डी मजबुत होती है और ब्लड सर्कुलेशन अच्छा रहता है। 

अर्धमत्स्येन्द्रासन पेट के अंगों की अच्छी तरह मसाज करता है। इसे करने के लिए पैरों को सामने की तरफ फैलाकर इस प्रकार बैठें कि आपकी रीढ़ तनी हो और दोनों पैर एक-दूसरे से चिपके हुए हों। अब अपने बाएँ पैर को मोड़ें और उसकी एड़ी को हिप्स के दाएं हिस्से की और ले जाएं। अब दाएं पैर को बाएँ पैर की ओर लाएं और बायां हाथ दाएं घुटनों पर रख लें और दायाँ हाथ पीछे की ओर ले जाएं। कमर, कन्धों और गर्दन को इस तरह दाईं तरफ मोड़ें।

मंडूकासन (Manduk Asana)
वज्रासन में बैठे और दोनों हांथो की मुठ्ठी अंगूठा अंदर तरफ करके बंद करे और नाभि के दोनों ओर मुठ्ठी को रखे ओर श्वास खाली करते हुए सिर को सामने जमीन पर लगाने का प्रयास करे कुछ पल रोके कर श्वास लेते हुए वापस वज्रासन में आ जाये दो से तीन बार करे ।

उष्ट्रासन (Camel Pose)

इसे करने के लिए वज्रासन में बैठ जाएं और फिर घुटनों के बल खड़े हो जाएं। अब श्वास भरते हुए पीछे की ओर झुकते हुए दाएं हाथ से दाहिनी एड़ी और बाएं हाथ से बायीं एड़ी को पकड़ें। इसके साथ ही सिर को पीछे की तरफ झुकाएं। इसी तरह रीढ़ की हड्डियों को भी पीछे की तरफ झुकाने की कोशिश करें। अब धीरे से वापस उसी क्रम में आये।

ध्यान (Meditation)
अगर कहा जाए कि सं

sanसार की अधिकांश समस्याओं को सिर्फ ध्यान के बल पर ठीक किया जा सकता है तो इसमें कोई भी अतिशयोक्ति नहीं है। नियमित ध्यान के अभ्यास से व्यक्ति में इंसानियत और मानवीयता के सद्गुणों का जन्म होता है। ध्यान से मानसिक तनाव को दूर करना सबसे अधिक कारगर और अचूक उपाय है।

इसके पश्चात् सुखासन में बैठकर पांच-पांच बार ॐ का उच्चारण एवं भ्रामरी करे, आप देखेंगे की आपको एक डिवीन एनर्जी प्राप्त हुए है जो आपको शांतचित बनाती है।

आयुष योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र
गुडगाँव, हरियाणा
ईमेल: yogawithanu@gmail.com  
मोबाइल : 8882916065


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